लंदन। मीठे पानी (नदी, तालाब, पोखर) में पाए जाने वाले घोंघे पर हुए शोध में एक आश्चर्यजनक जानकारी सामने आई है कि मस्तिष्क में मात्र 2 ही कोशिकाएं होने के बावजूद यह मुश्किल परिस्थिति में कठिन फैसला लेने में सक्षम होता है।
घोंघे के दिमाग की इस खूबी को देखकर वैज्ञानिक अब रोबोट के दिमाग की डिजाइन इसी तरह बनाना चाहते हैं ताकि उसे अधिक प्रभावी और समझदार बनाया जा सके।
विज्ञान पत्रिका 'नेचर कम्युनिकेशन' में प्रकाशित इस शोध के मुताबिक घोंघे के बारे में पता चले इस नए तथ्य की मदद से रॉबोट के दिमाग को तैयार किया जा सकेगा। शोध के अनुसार घोंघे भले ही तुरंत निर्णय नहीं ले पाते लेकिन वे कठिन परिस्थितियों में अपना दिमागी संतुलन बनाए रखते हैं और कड़े निर्णय लेने में सक्षम होते हैं।
इस शोध का नेतृत्व करने वाले इंग्लैंड के ससेक्स विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जॉर्ज कीमिंस ने कहा कि जब हम कोई जटिल कार्य कर रहे होते हैं, तो हमारे दिमाग में क्या चल रहा होता इसकी जानकारी हमें नहीं रहती। लेकिन घोंघे पर किए गए हमारे अध्ययन में पहली बार पता चला है कि कैसे एक प्राणी के मस्तिष्क में मौजूद सिर्फ 2 न्यूरॉन्स की मदद से मुश्किल निर्णयों को भी असानी से लिया जा सकता है।
घोंघे के दिमाग की एक कोशिका उसे बताती है कि उसे यह भूख लगी है या नहीं, जबकि दूसरी उसे भोजन की मौजूदगी की सूचना देती है। यह शोध खाने की तलाश कर रहे घोंघे की दिमागी गतिविधि के अध्ययन के आधार पर किया गया है।
प्रोफेसर कीमिंस ने कहा कि शोध में यह भी पता चला है कि निर्णय लेने के बाद वे कितनी ऊर्जा खर्च करते हैं, इसके प्रबंधन में भी यही कोशिकाएं मदद करती हैं। जटिल कार्यों में कम से कम तत्वों का इस्तेमाल करने की इस खोज से आगे चल कर रॉबोट के 'दिमाग' को विकसित करने में मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा कि भोजन की खोज लक्ष्य प्राप्त करने के हेतु से किया गया व्यवहार है क्योंकि अस्तित्व के लिए यह जरूरी है और इस तरह के लक्ष्य निर्देशित निर्णय लेने के दौरान, जानवर जितना संभव हो कम ऊर्जा का उपयोग करते हैं जो बाहरी पर्यावरण और आंतरिक स्थिति दोनों के बारे में जानकारी होने पर ही संभव है। (वार्ता)