लेकिन ज्यादातर दिन ये शिविर पूरी तरह खाली ही पड़े रहते हैं क्योंकि निकाले गए अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्य उस स्थान पर लौटने से डरते हैं जहां से सेना ने इन लोगों को हिंसक तरीके से खदेड़ा था। म्यामां की तरफ से चीजें सामान्य करने का कोई ठोस आश्वसान भी इस संबंध में नहीं दिया गया है।