विदित हो कि ट्रॉपोस्फीयर पृथ्वी के वायुमंडल का सबसे निचला हिस्सा है। इसके ऊपर स्ट्रेटोस्फीयर (समताप मंडल) होता है, जिस सतह पर जेट विमान उड़ान भरते हैं। कनाडा स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिटिश कोलंबिया के शोधकर्ताओं का कहना है कि सतह पर वापस लौटने से पूर्व वायरस उड़कर हजारों किलोमीटर दूर जाते हैं। फिर प्रतिदिन एक वर्ग मीटर में करीब 80 करोड़ वायरस वापस पृथ्वी की सतह पर पहुंचते हैं।
ग्रैनाडा विवि और सैन डियागो विवि के वैज्ञानिक अब यह पता लगाने की कोशिश में हैं कि कितनी मात्रा में धूल कण और अन्य तत्व पृथ्वी की सतह से 2500 से तीन हजार मीटर की ऊंचाई पर बहकर जाते हैं। इस शोध में पाया गया कि ज्यादातर वायरस सी स्प्रे से हवा में पहुंचते हैं। बैक्टीरिया के मुकाबले वायरस के पृथ्वी पर वापस पहुंचने की दर नौ से 461 गुना अधिक है।