बिजली गुल होने पर तारों को निहारती थी सिरिशा, अब स्‍पेस में जाने वाली तीसरी भारतवंशी बनी

रविवार, 10 जुलाई 2022 (14:51 IST)
राजनीति हो, समाजसेवा हो, मल्‍टीनेशनल कंपनियों में उच्‍च पदों को हासिल करना हो या बिजनेस में झंडे गाड़ना हो या विज्ञान का क्षेत्र हो। कोई ऐसा क्षेत्र नहीं जहां भारतीयों ने देश का सिर गौरव से ऊंचा न किया हो। सिरिशा बांदला एक ऐसा ही नाम हैं, जिन्‍होंने भारत को एक बार फिर से यह गौरव प्रदान करने का मौका दिया है।

आंध्रप्रदेश की रहने वाली सिरिशा बांदला ने देश को गौरान्‍वित करने का काम किया है। वे स्‍पेस में जाने वाली भारतीय मूल की तीसरी एस्‍ट्रोनॉट बन गई हैं।  वे एक एरोनॉटिकल इंजीनियर और कॉमर्शियल एस्ट्रोनॉट हैं।

दरअसल, सिरिशा, कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स के बाद स्‍पेस की यात्रा करने वाली भारतीय मूल की तीसरी महिला एस्ट्रोनॉट हैं। इतना ही नहीं, वे अभी रिचर्ड ब्रैनसन की स्पेस कंपनी वर्जिन गैलेक्टिक की वाइस-प्रेसिडेंट भी हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सिरिशा का जन्म आंध्रप्रदेश के बापटला जिले के चिराला शहर में हुआ। पांच साल उम्र में ही उनके माता-पिता अमेरिका चले गए।

अपने एयरोनॉटिकल इंजीनियर बनने के बारे में सिरिशा ने बताया कि बचपन में भारत में रहते हुए जब रात में बिजली गुल हो जाती थी, तो वह तारों को देखा करती थीं। यहीं से उन्‍हें तारों, आकाश और स्‍पेस में दिलचस्‍पी जागी।

सिरिशा ने पर्ड्यू विश्वविद्यालय से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की पढ़ाई पूरी की है और जॉर्ज टाउन विश्वविद्यालय से मास्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (एमबीए) की पढ़ाई की। सिरिशा बांदला के पिता का नाम डॉ मुरलीधर बांदला है और माता का नाम अनुराधा बांदला है। सिरिशा के भाई का नाम गणेश बांदला और दादा का नाम बांदला रगहिया है। 2015 में सिरिशा ने वर्जिन गैलेक्टिक कंपनी में काम करना शुरू किया और बहुत ही कम समय मे वह वाइस प्रेसिडेंट बन गई।

उन्होंने हाल ही में एक 747 विमान का उपयोग करके अंतरिक्ष में एक उपग्रह को भी पहुंचाया था। वे टेक्सस में एक एयरोस्पेस इंजीनियर के रूप में भी काम कर चुकी हैं। सिरिशा कमर्शियल स्पेस फ्लाइट फेडरेशन (CSF) में भी काम कर चुकी हैं और यहां की एसोसिएट डायरेक्टर रही हैं।

वेबदुनिया पर पढ़ें

सम्बंधित जानकारी