India and Pakistan relations : पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री खुर्शीद महमूद कसूरी ने कहा है कि भारत और पाकिस्तान के रिश्ते मौजूदा वक्त में युद्ध के समय को छोड़कर इतिहास के सबसे बुरे दौर से गुजर रहे हैं। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि द्विपक्षीय संबंधों में अचानक सकारात्मक बदलाव भी आ सकते हैं। कसूरी ने कहा कि आपसी बातचीत ही दोनों देशों के लिए अपने लंबित मुद्दों को सुलझाने का एकमात्र जरिया है। कसूरी ने कहा कि अगर दोनों देश आपसी विवादों को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाने का मौका चूक जाते हैं, तो यह दुख की बात होगी, क्योंकि उनके पास कश्मीर मुद्दे के संभावित समाधान के लिए चार सूत्री फॉर्मूले के रूप में पहले से ही एक सहमत खाका मौजूद है।
इंस्टीट्यूट ऑफ पीस एंड कनेक्टिविटी (आईपीएसी) की ओर से बृहस्पतिवार रात लाहौर में पाकिस्तान-भारत संबंध : वर्तमान स्थिति और आगे की राह विषय पर आयोजित एक कार्यक्रम में कसूरी ने कहा कि आपसी बातचीत ही दोनों देशों के लिए अपने लंबित मुद्दों को सुलझाने का एकमात्र जरिया है।
मौजूदा समय को भारत-पाकिस्तान के रिश्ते के लिहाज से इतिहास के सबसे बुरे दौर में एक से करार देते हुए कसूरी ने कहा कि यहां तक कि युद्ध के बाद भी नई दिल्ली और इस्लामाबाद शांति प्रक्रिया को फिर से शुरू करने के लिए जल्द ही बातचीत की मेज पर आ गए।
आईपीएसी के अध्यक्ष कसूरी ने कहा कि अगर दोनों देश आपसी विवादों को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाने का मौका चूक जाते हैं, तो यह दुख की बात होगी, क्योंकि उनके पास कश्मीर मुद्दे के संभावित समाधान के लिए चार सूत्री फॉर्मूले के रूप में पहले से ही एक सहमत खाका मौजूद है।
साल 2002 से 2007 तक विदेश मंत्री रहे कसूरी स्पष्ट रूप से पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ की ओर से भारतीय नेतृत्व को सुझाए गए समाधान का जिक्र कर रहे थे। कसूरी ने इस बात को रेखांकित किया कि उन्होंने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सरकारों के साथ शांति प्रक्रिया पर काम किया। उन्होंने कहा कि इसलिए उन्हें पूरा यकीन है कि मौजूदा निराशाजनक स्थिति के बावजूद भारत की अधिकांश जनता पाकिस्तान के साथ शांति चाहती है।
कसूरी ने कहा कि चुनौतियों और मौजूदा टकराव के बावजूद उनके अनुभव ने उन्हें सिखाया है कि पाकिस्तान-भारत संबंधों में अचानक सकारात्मक बदलाव आ सकते हैं। उन्होंने याद दिलाया कि कैसे कारगिल युद्ध के सूत्रधार कहलाने वाले मुशर्रफ का बाद में नई दिल्ली में गर्मजोशी से स्वागत किया गया था। कसूरी ने कहा कि इसी तरह, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 में लाहौर में पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से मुलाकात करके सबको चौंका दिया था।
उन्होंने दावा किया, ऐसी विश्वसनीय खबरें थीं कि प्रधानमंत्री मोदी अप्रैल 2021 में पाकिस्तान की यात्रा करेंगे... जाहिर तौर पर हिंगलाज माता मंदिर में दर्शन के लिए और उनके बाद में शांति प्रक्रिया को फिर से शुरू करने के वास्ते (तत्कालीन) प्रधानमंत्री इमरान खान से मिलने के लिए इस्लामाबाद जाने की संभावना थी। उन्होंने कहा, मैं भविष्य में भी इसी तरह के हैरान करने वाली घटनाओं की संभावना से इनकार नहीं करता।(भाषा)
Edited By : Chetan Gour