मेरी तीन बेटियां मेरे लिए छोटी चिड़िया हैं, वो कहां उड़ गई?
युद्ध की तबाही में मुझे ऐसा लग रहा है जैसे मैं सपने में हूं
कैसे एक आम आदमी अहमद अल गुफेरी की दुनिया हो गई तबाह?
Story of Ahmad al Guferi : कहते हैं सबसे बड़ा बदनसीब वो शख्स होता है जिसका दुनिया में कोई नहीं होता। शायद सच भी है परिवार का न होना दुनिया में सबसे बड़ा दुख है। आखिर कोई परिवार के बगैर दुनिया में रहकर करेगा भी तो क्या।
गाजा का एक शख्स ऐसा ही बदनसीब है, जिसका परिवार था तो भरापूरा लेकिन इजरायली हमलों उसने एक दो या तीन नहीं, बल्कि 100 से ज्यादा अपनों को खो दिया। अगर इस शख्स को सबसे बड़ा बदनसीब कहेंगे तो शायद गलत नहीं होगा। क्योंकि इसने न सिर्फ अपनी मां, बीवी, भाई, बेटी को खोया बल्कि उसके पूरे कुनबा ही खत्म हो गया। कुल जमा वो इजरायली हमलों में अपने 103 रिश्तेदारों को खो चुका है।
अहमद अल गुफेरी नहीं जाएगा घर : बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन को उम्मीद है कि 4 मार्च तक इजराइल हमास के बीच युद्धविराम हो जाएगा। युद्धविराम की शर्तों के मुताबिक गाजा में अस्पतालों की मरम्मत की जाएगी, 500 सहायता ट्रक हर दिन पट्टी में प्रवेश करेंगे। इजराइली-हमास के बंधकों को रिहा करने की भी शर्त रखी गई है और विस्थापितों को वापस अपने घर भेजा जाएगा। हालांकि इस राहतभरी खबर के बीच अहमद अल गुफेरी की अपने घर वापस जाने में कोई दिलचस्पी नहीं है। आखिर वो जाए भी तो किसके लिए। क्योंकि जंग ने अहमद से उनके परिवार समेत कुल 103 रिशतेदारों को छीन लिया है।
किसे खोया अहमद ने : अहमद ने जिन लोगों को युद्ध में खो दिया उनमें उसकी मां, बीवी, भाई, बेटी, चाचा-चाची थे। सभी की मौत इजराइल की तरफ से किए गए हमले में हो गई। अहमद कहते हैं कि, गाजा में मेरा सपना टूट गया, मुझे किसके लिए वापस जाना चाहिए? मुझे पापा कौन कहेगा?
वो आखिरी कॉल था : 7 अक्टूबर को इज़राइल पर हमास के हमले के दौरान अहमद अल-गुफ़री तेल अवीव के निर्माण स्थल पर काम कर रहे थे। युद्ध की वजह से कई जगहों पर इज़राइल ने नाकाबंदी थी। इसलिए वो अपनी पत्नी और तीन बेटियों के पास लौट नहीं पाए। वह उनसे हर दिन एक ही समय पर बात कर पाते थे जब फोन कनेक्शन की अनुमति मिलती थी। 8 दिसंबर को जब उनके घर पर हमला हुआ तो उस वक्त वो फोन पर अपनी पत्नी सिरिन से बात कर रहे थे। उन दोनों के बीच वो आखिरी कॉल था। शाम में हमला हुआ और उनकी पत्नी के साथ तीन युवा बेटियां- ताला, लाना और नजला की मौत हो गई। अहमद अल गुफ़री उस दिन को याद करते हुए कहते हैं कि उनकी पत्नी जानती थी कि वो मर जाएगी।
युद्ध ने छीन लिए 103 रिश्तेदार : इस हमले ने अहमद की बदकिस्मती की इंतेहा हो गई। उसने न सिर्फ अपनी पत्नी, बच्चे और मां को युद्ध ने छीन लिया, बल्कि अहमद के चार भाइयों और उनके परिवारों के साथ-साथ उसकी दर्जनों चाची, चाचा और चचेरे भाई-बहनों को भी मार डाला। कुल मिलाकर 100 से अधिक लोग मारे गए। इतने महीनों बाद भी उनके कुछ शव मलबे में फंसे हुए हैं। पिछले हफ्ते, उन्होंने अपनी सबसे छोटी बेटी का जन्मदिन मनाया। नजला नाम था और आज अगर वो जिंदा होती तो दो साल की होती। अहमद कहते हैं कि, मेरी बेटियां मेरे लिए छोटी चिड़िया हैं, मुझे ऐसा लग रहा है जैसे मैं सपने में हूं। मुझे अब भी यकीन नहीं हो रहा कि हमारे साथ क्या हुआ है
कैसे खत्म हुई अहमद की दुनिया : अहमद ने बताया गया कि एक मिसाइल सबसे पहले उनके परिवार के घर के एंट्री गेट पर गिरी थी। उन्होंने कहा, वे जल्दी से बाहर निकले और पास में मेरे चाचा के घर चले गए पंद्रह मिनट बाद, एक लड़ाकू विमान उस घर से टकराया। जिस चार मंजिला इमारत में परिवार की हत्या की गई, वह गाजा शहर के ज़िटौन इलाके में सहाबा मेडिकल सेंटर के कोने पर स्थित थी। यह अब बिखरे हुए कंक्रीट का एक ढेर में तब्दील हो गया है। जिसके मलबे में हरे रंग का प्लास्टिक का कप, धूल भरे कपड़ों के टुकड़े दबे हैं।
हर 10 मिनट में घरों पर अटैक : अहमद के जीवित बचे रिश्तेदारों में से एक, हामिद अल-गुफ़री ने बीबीसी को बताया कि जब हमले शुरू हुए, तो जो लोग पहाड़ी पर भागे वे तो बच गए लेकिन जिन्होंने घर में शरण ली थी, वे मारे गए। इसराइली फोर्सेस हर 10 मिनट में एक घर पर हमला कर रहे थे। अहमद के एक दूसरे रिश्तेदार का कहना है कि इसराइली फोर्सेस बिनी किसी चेतावनी के हमला किए जा रहे थे। अगर कुछ लोगों ने पहले ही यह क्षेत्र नहीं छोड़ा होता, तो सैकड़ों लोग मारे गए होते। Edited by Navin Rangiyal