ऑस्ट्रेलिया में नाइन न्यूज चैनल में काम करने वाली 30 वर्षीय हेली वेब और उनके 28 वर्षीय रिपोर्टर भाई लचलान वेब एक प्राणघातक इनसोम्निया (नींद न आने की बीमारी) के मरीज है। इस कारण बीमारी से पीड़ित लोगों को कभी नींद नहीं आती है। अगर उन्हें नींद आ गई तो उनकी मौत भी हो सकती है। इस प्राणघातक और निरंतर कमजोरी लाने वाली बीमारी का कोई इलाज भी नहीं है और न ही दुनिया में इसकी कहीं दवा मिलती है।
डेलीमेल ऑस्ट्रेलिया के लिए लीथ हफरडीन लिखती हैं कि दोनों को यह अत्यंत दुर्लभ बीमारी अपनी दादी और मां से मिली है जो कि इस बीमारी से पीड़ित रही थीं। दोनों की मौत भी इसी बीमारी के चलते हुई। विदित हो कि यह बीमारी दुनिया के एक करोड़ लोगों में से किसी एक को होती है। इस बीमारी को फैटल फैमिलियम इनसोम्निया (एफएफआई) कहा जाता है। 60 मिनट की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इन लोगों को इस बात की भी जानकारी नहीं है कि यह बीमारी किस समय हमला कर सकती है।
इस रोग से पीड़ित लोगों का मस्तिष्क निरंतर कमजोर होता चला जाता है। ये लोग कभी भी गहरी नींद में नहीं सो पाते हैं क्योंकि इससे उनके शरीर और मस्तिष्क बहुत कमजोर हो जाते हैं। 30 वर्षीया हेली और 28 वर्षीय लाचलन को इस बीमारी के बारे में तब पता लगा जब दोनों किशोरावस्था में थे। उस समय उनकी दादी मां बीमार हो गईं और अंत में उनकी मौत हो गई थी। लेकिन बीमार होने के बाद उनकी नेत्रज्योति चली गई थी और उन्हें भूलने की बीमारी हो गई थी। बाद में, वे मतिभ्रम का शिकार होने लगी थीं और बात भी नहीं कर पाती थीं।
तब परिवार ने पहली बार इस बीमारी के बारे में जाना। यह बीमारी इतनी दुर्लभ है कि इस बीमारी के दुनिया में दस मरीज भी नहीं हैं। क्वींसलैंड के नाइन न्यूज चैनल की रिपोर्टर हेली यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के उस अग्रणी अध्ययन में मदद कर रही हैं जो कि इस बीमारी का इलाज खोजने के लिए की जा रही है। तीस वर्षीय टीवी रिपोर्टर का कहना है कि उनकी दादी का 69 वर्ष की आयु में निधन हो गया था।
जब वे सनसाइन कोस्ट के लिए अपनी नई नौकरी के लिए जा रही थीं तब उनकी मां ने उनसे कहा था, 'हैव ए ग्रेट डे। आईएम सो प्राउड ऑफ यू।' लेकिन इसी सप्ताहांत में वे उसे जिलियन पुकारने लगी थीं। उन्हें लगता था कि वह घर की नौकरानी है। बाद में, उनकी बीमारी भी गंभीर होती गई और मात्र छह माह में उनका निधन हो गया। उनकी मां को यह बीमारी वर्ष 2011 की शुरुआत में हुई थी और इसके बाद वे छह माह भी जिंदा नहीं रहीं। यह बीमारी थकान के अहसास से शुरू होती है बाद में शारीरिक और मानसिक ताकत का लगातार क्षय होता जाता है।
हेली का कहना है कि उनकी चाची का निधन 42 वर्ष में, मां का 61 वर्ष में और दादी का 69 वर्ष की आयु में हो गया था। उनकी मां के भाई की मौत मात्र 20 वर्ष में हो गई थी। दोनों भाई-बहन ने सैन फ्रांसिस्को में बीमारी की खोज संबंधी शोधकार्यों में भाग लिया है। वे कहती हैं कि उनके पास दस और वर्ष हो सकते हैं लेकिन वे चाहती हैं कि इस बीमारी का इलाज अभी, इसी समय हो जाए। इसलिए दोनों ही अमेरिका में बीमारी से जुड़े शोध कार्यों में सहयोग कर रहे हैं।