वैटिकन सिटी। एक शीर्ष कैथोलिक अधिकारी ने शनिवार को कहा कि बच्चों का यौन शोषण करने वाले पादरियों से संबंधित गिरजाघर की फाइलें नष्ट कर दी गईं या फिर उन्हें कभी तैयार ही नहीं किया गया, ऐसे में गुनहगारों को दूसरों को अपना शिकार बनाने का मौका मिल जाता है।
जर्मन कार्डिनल रीनहार्ड मार्क्स ने पादरियों के हाथों बच्चों के यौन शोषण की समस्या के समाधान पर एक ऐतिहासिक वैटिकन सम्मेलन में कहा कि जिन फाइलों से (बाल यौन शोषण के) भयावह कृत्यों की पूरी कहानी सामने आती और गुनहगारों का खुलासा होता, उन्हें नष्ट कर दिया या उन्हें तैयार ही नहीं किया गया।
उन्होंने कहा कि गुनहगारों के बजाय पीड़ितों को ही बेजा नियमों से बांध दिया गया और उन्हें चुप करा दिया गया। अपराधों पर अभियोजन के लिए निर्धारित प्रक्रिया जान-बूझकर तैयार नहीं की गई, उल्टे उसे रद्द कर दिया गया। मार्क्स दुनियाभर के शीर्ष पादरियों की एक अप्रत्याशित सभा के तीसरे दिन अपनी बात रख रहे थे जिसे पोप फ्रांसिस ने उस संकट से निपटने के प्रयास के तौर पर बुलाई है। इस संकट ने दशकों से रोमन कैथोलिक चर्च को घेर रखा है।
जांचों से रहस्योद्घाटन हुआ है कि कई मामलों में नाबालिगों पर यौन हमला करने के आरोपी पादरियों को स्थानांतरित कर दिया जाता है और बिशप गिरजाघर की प्रतिष्ठा को बचाने के नाम पर इन बातों पर अपनी आंखें बंद कर लेते हैं। मार्क्स ने कहा कि पीड़ितों के अधिकारों को रौंद डाला गया और कुछ व्यक्तियों की मनमर्जी पर छोड़ दिया जाता है। ये सभी ऐसी घटनाएं हैं, जो गिरजाघर के मूल्यों के विपरीत जाती हैं। कार्डिनल ने कहा कि जरूरी है कि पीड़ित महसूस करे कि वे व्यवस्था पर भरोसा कर सकते हैं। (भाषा)