उल्लेखनीय है कि 62 वर्षीय माल्या के खिलाफ इस अदालत में सुनवाई चल रही है कि क्या उन्हें प्रत्यर्पित कर भारत भेजा जा सकता है या नहीं, ताकि उनके खिलाफ वहां की अदालत बैंकों के साथ धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में सुनवाई कर सके। उनके खिलाफ करीब 9,000 करोड़ रुपए के कर्जों की धोखाधड़ी और हेराफेरी का आरोप है।
इस मामले में भारत सरकार की पैरवी कर रही स्थानीय अभियोजक क्राउन प्रोसीक्यूशन सर्विस (सीपीएस) ने अदालत में इस संबंध में जमा कराए गए साक्ष्यों की ग्राह्यता पर अपनी दलीलें पेश कीं, क्योंकि माल्या का बचाव कर रही वकील क्लेयर मोंटगोमेरी ने पिछली सुनवाई पर इन सबूतों की ग्राह्यता पर प्रश्नचिन्ह खड़े किए थे।
उम्मीद है कि एम्मा इन सबूतों की ग्राह्यता पर फैसला कर सकती हैं। साथ ही वह अपने अंतिम फैसले के लिए समय भी तय कर सकती हैं। हालांकि मामले में और अधिक स्पष्टीकरण की मांग किए जाने से इसका फैसला आने में देरी हो सकती है। माल्या दो अप्रैल तक जमानत पर बाहर हैं। हालांकि वह शुक्रवार को अदालत में पेश होने के लिए बाध्य नहीं थे, फिर भी वह अदालत में पेश हुए। (भाषा)