Balochistan human rights activist Mahrang Baloch: पाकिस्तान के बलूचिस्तान के लोग सालों से दमन और शोषण का शिकार हैं। इस अंधेरे में एक नाम उभरकर सामने आया है- डॉ. महरंग बलोच। एक डॉक्टर, मानवाधिकार कार्यकर्ता और बलूचिस्तान की बेटी, जिन्होंने अपनी हिम्मत और शांतिपूर्ण संघर्ष से न सिर्फ अपने लोगों का दिल जीता, बल्कि पाकिस्तानी फौज को भी बैकफुट पर ला दिया। लेकिन सवाल यह है कि आखिर इस एक महिला से इतना डर क्यों है? आइए, इस कहानी को करीब से समझते हैं।
दर्द से जन्मी हिम्मत : महरंग बलोच की जिंदगी आसान नहीं रही। 2009 में, जब वो महज 16 साल की थीं, उनके पिता को पाकिस्तानी सेना ने अगवा कर लिया। दो साल बाद उनके पिता का शव मिला, जिस पर यातना के निशान साफ दिखाई दे रहे थे। फिर 2017 में उनके भाई का भी अपहरण हुआ और उन्हें महीनों तक टॉर्चर झेलना पड़ा। इन दुखद घटनाओं ने महरंग को तोड़ने की बजाय उन्हें स्टील की तरह मजबूत बना दिया। उन्होंने ठान लिया कि वो अपने लोगों के लिए लड़ेंगी। आज वो बलूच यकजहती समिति (BYC) की अगुवाई करती हैं और बलूचिस्तान में होने वाले अत्याचारों के खिलाफ शांतिपूर्ण तरीके से आवाज उठाती हैं।
बलूचिस्तान का सच और महरंग की जंग : बलूचिस्तान में दशकों से अशांति का माहौल है। वहां के लोग आरोप लगाते हैं कि पाकिस्तानी सरकार उनके संसाधनों का दोहन करती है, लेकिन बदले में उन्हें सिर्फ गरीबी और दमन मिलता है। हजारों बलूच युवाओं को सेना ने गायब कर दिया, जिनमें से कई की लाशें ही उनके परिवारों को मिलीं। इस अन्याय के खिलाफ महरंग ने मोर्चा खोला। 2023 में तुर्बत से इस्लामाबाद तक का उनका ऐतिहासिक मार्च हो या 2024 में ग्वादर का बलूच राजी मुची प्रदर्शन, हर बार लाखों लोग उनके साथ सड़कों पर उतरे। उनकी ये ताकत शांतिपूर्ण है, लेकिन इतनी प्रभावशाली कि पाकिस्तानी सरकार और सेना के लिए सिरदर्द बन गई है।
पाकिस्तानी फौज का डर : तीन बड़े कारण
दुनिया के सामने सच का आलम : महरंग ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बलूचिस्तान के हालात को उजागर किया है। वो कहती हैं, आतंकवाद के नाम पर हमारे लोगों को मारा जा रहा है। उनकी आवाज संयुक्त राष्ट्र से लेकर मानवाधिकार संगठनों तक पहुंची। 2025 में उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया, जो उनके संघर्ष की वैश्विक पहचान है।
शांतिपूर्ण ताकत का जवाब नहीं : महरंग हथियारों की नहीं, शांति की भाषा बोलती हैं। गांधीवादी तरीके से वो सरकार को चुनौती देती हैं। उनकी इस रणनीति ने सेना को असमंजस में डाल दिया है, क्योंकि हिंसा का जवाब तो वो हिंसा से दे सकती है, लेकिन शांति का जवाब क्या दे?
At this moment, our peaceful sit-in in Quetta, Balochistan, is facing a brutal and unjustified crackdown by state security forces. Dozens of our companions, including women, have been arrested, and their whereabouts remain unknown. The security forces are resorting to… pic.twitter.com/VDLtmdbev6
बलूच जनता का समर्थन : महरंग अब बलूचिस्तान की उम्मीद बन चुकी हैं। जहां बलूच लिबरेशन आर्मी जैसे संगठन हथियार उठाते हैं, वहीं महरंग की अहिंसक लड़ाई ने आम लोगों को जोड़ा है। उनकी एक आवाज पर लाखों लोग सड़कों पर आ जाते हैं और ये जनशक्ति ही सेना के लिए सबसे बड़ा खतरा है।
क्या महरंग भी गायब हो जाएंगी? : मार्च 2025 में क्वेटा में एक शांतिपूर्ण प्रदर्शन के दौरान महरंग को गिरफ्तार कर लिया गया। इस दौरान हुई गोलीबारी में 3 लोग मारे गए। इसके बाद से उनकी कोई खबर नहीं है। बलूचिस्तान में पहले भी कई कार्यकर्ता 'गायब' हो चुके हैं। लेकिन महरंग का कहना रहा है, मुझे मौत से डर नहीं लगता। मैं अपने लोगों के लिए लड़ती रहूंगी। उनकी ये हिम्मत ही उन्हें खास बनाती है और सेना के लिए चुनौती भी।
एक महिला, एक क्रांति : महरंग बलोच सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि बलूचिस्तान के संघर्ष की जीवंत मिसाल हैं। वो अकेले दम पर पाकिस्तान की ताकतवर फौज को चुनौती दे रही हैं। उनकी कहानी हमें सिखाती है कि हिम्मत और सच की ताकत से कोई भी जंग जीती जा सकती है। सवाल यह है- क्या महरंग की ये लड़ाई बलूचिस्तान को इंसाफ और आजादी दिला पाएगी? ये वक्त ही बताएगा। लेकिन एक बात साफ है कि महरंग बलोच से पाकिस्तानी फौज का डर जायज है, क्योंकि वो एक ऐसी शेरनी हैं, जिसे न चुप कराया जा सकता है, न झुकाया जा सकता है।