मुम्बई: रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु के दो प्रमुख बल्लेबाज़ विराट कोहली और ग्लेन मैक्सवेल इस सीज़न में दो मौक़ों पर रन आउट का हिस्सा रहे हैं। दोनों मौक़ों पर कोहली का ही कॉल था, लेकिन दोनों मौक़ों पर उन्हें बाद में लगा कि उन्होंने ग़लत कॉल कर दिया। हालांकि तब तक देर हो चुकी थी। इन दोनों रन आउट से एक बार फिर से टी20 क्रिकेट में तेज़ सिंगल चुराने के मुद्दे पर बहस होने लगी है।
बुधवार को कोहली ने गेंद को धीरे से ऑफ़ साइड में खेला और रन लेने के लिए दौड़ पड़े। मैक्सवेल पहले रन नहीं लेना चाहते थे लेकिन कोहली को तेज़ी से आते देख उन्हें भी दौड़ना पड़ा। हालांकि तब तक देर हो चुकी थी। उथप्पा का थ्रो आया और मैक्सवेल को पवेलियन जाना पड़ा। इससे पहले 16 अप्रैल को दिल्ली कैपिटल्स के ख़िलाफ़ मैच में भी कोहली कवर प्वाइंट पर गेंद को हल्का सा धकेल कर रन लेना चाहते थे। उस समय मैक्सवेल ने उन्हें मना कर दिया था और ललित यादव की सीधी थ्रो पर कोहली पवेलियन में थे।
वेटोरी भी बिशप की बातों से सहमत नज़र आए। यहां तक कि एक क़दम आगे बढ़कर उन्होंने कहा, "कवर की ओर गेंद को हल्का सा धकेलकर सिंगल चुराना कोई बेहतरीन निर्णय नहीं है। अगर किसी पारी में कोई रन आउट होता है, तो हमें उस रन आउट का मूल्यांकन करना चाहिए और संबंधित खिलाड़ी से कहना भी चाहिए कि उन्होंने रन चुराने का ग़लत निर्णय लिया था। आप एक सिंगल के लिए मैक्सवेल या उन जैसे बड़े खिलाड़ी को नहीं खो सकते।"
गेंद-दर-गेंद आंकड़ों के अनुसार कोहली टी20 मैचों में 40 मौक़ों पर रन आउट का हिस्सा रह चुके हैं। जहां 15 बार वह ख़ुद आउट हुए हैं, वहीं 25 बार उन्होंने अपने साथी को रन आउट कराया है। हालांकि कोहली और मैक्सवेल के रन बनाने के अंदाज़ में भी अंतर है। जहां मैक्सवेल अपने 62.04% रन बाउंड्री से बनाते हैं, वहीं कोहली को सिर्फ़ 54.3% रन ही बाउंड्री से मिलते हैं। इसका एक मतलब यह भी है कि कोहली अपने रनों के लिए सिंगल-डबल पर भी अधिक निर्भर रहते हैं।
वेटोरी ने आगे कहा, "उपमहाद्वीप के खिलाड़ियों में पारी की शुरुआत में ऐसे कड़े सिंगल चुराने की आदत होती है लेकिन ज़रूरी नहीं कि सामने वाले खिलाड़ी इसके लिए तैयार रहे। मैक्सवेल के साथ कुछ ऐसा ही हुआ।"(वार्ता)