भारत में टेलीकॉम क्षेत्र की नियामक संस्था-टेलीकॉम रेग्यूलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) ने मोबाइल फोन पर आने वाले अनचाही कॉल्स पर अंकुश लगाने के लिए कुछ उपाय शुरू किए हैं।
ट्राई ने इसके लिए एक परामर्श प्रक्रिया आरंभ की। इसके तहत लोग अनचाही कॉल्स के बारे में अपनी राय से ट्राई को अवगत करवा सकते हैं। यह परामर्श प्रक्रिया 8 दिसंबर तक चलेगी। इसके बाद अनचाही कॉल्स पर लगाम कसने के लिए कोई नियम भी सामने आ सकता है।
ट्राई के चेयरमैन ने बताया कि 'हम पूरी तरह आशान्वित हैं कि इस वर्ष के अंत तक इस बारे में कोई न कोई नियम बनाकर जारी कर देंगे।' भारत में इस समय लगभग 17 करोड़ टेलीफोन उपभोक्ता हैं। यह आँकड़ा हर माह 60 लाख की रफ्तार से बढ़ रहाहै। इतने बड़े उपभोक्ता वर्ग को विज्ञापन और मार्केटिंग कंपनियाँ संभावित ग्राहक के रूप में देखती हैं।
वास्तव में मोबाइल फोन के विस्तार के बाद टेलीमार्केटिंग ने एक उद्योग का रूप ले लिया है। आसान ऋण से लेकर क्रेडिट कार्ड बनवाने के लिए राजी करने की कोशिश करती लगभग हर कॉल आपकी सहमति के बगैर ही की जाती है। ट्राई के चेयरमैन नृपेंद्र मिश्रा कहते हैं कि 'देश में यह आम सहमति-सी बन गई है कि जो लोग अनचाही कॉल्स नहीं चाहते हैं, उन्हें परेशान न किया जाए। यह भी कि इस पर नियंत्रण किया जाना चाहिए जैसा कि विकसित देशों में भी है।
अमेरिका में तो 'डू नॉट कॉल' रजिस्टर होते हैं जिनमें अपना नंबर दर्ज होने के बाद कोई भी टेलीमार्केटिंग कंपनी उस नंबर पर अपने उत्पाद के प्रचार के लिए फोन नहीं कर सकती। ग्राहक इस बारे में टेलीमार्केटिंग के प्रति कई स्थानों पर रोष व्यक्त कर चुके हैं।