सावधान, दो मिलियन अकाउंट हुए हैक, वायरस मांग रहा है फिरौती

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जब कम्प्यूटर नहीं आया था तब यह कहा जाता था कि आपके महत्वपूर्ण दस्तावेज सुरक्षि‍त नहीं हैं और कोई भी आपके दस्तावेजों को आसानी से चुरा सकता है।

जब कम्प्यूटर आया और इंटरनेट नहीं आया था, तभी यही बात उठी थी कि कम्प्यूटर में हमारे दस्तावेज सुरक्षि‍त नहीं है, कम्प्यूटर खराब होते ही सभी दस्तावेज खत्म हो जाएंगे।

हाल के दिनों में अब इंटरनेट हैकरों द्वारा इंटरनेट से दस्तावेजों की चोरी से यह प्रश्न एक बार फिर से सबकी जु़बा पर आ गया है। पिछले पांच सालों का रिकॉर्ड देखें तो दुनिया में हैकरों द्वारा दस्तावेज चोरी की घटनाओं में इजाफा हुआ है। सभी देशों की साइबर क्राइम नियंत्रण विभाग इस रोकने में नाकाम होता जा रहा है।

अमेरिका के कार्गो बेस्ड साइबर सिक्योरिटी फिल्म के अनुसार हैकरों ने 2013 में अब तक दुनिया भर से लगभग 2 मिलियन इंटरनेट एकांउट हैक की है जिसमें फेसबुक, गूगल, ट्विटर, याहू तथा अन्य सोशल साइट्स के एकाउंट हैक होने की सूचना मिली है।

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साइबर सिक्यूरिटी फिल्म की रिपोर्ट के अनुसार हैकरों ने 1.58 मिलियन वेबसाइट अकाउंट और 32 लाख ई-मेल एकाउंट हैक किए हैं।

रिपोर्ट के अनुसार फेसबुक के 3 लाख 18 हजार अकाउंट, याहू के 60 हजार एकाउंट, 55 हजार गूगल एकाउंट, 21 हजार ट्विटर और 8 हजार से ज्यादा लिंकडिन एकाउंट को हैक गया है वहीं पेरोल सर्विस प्रोवाइडर कंपनी के हजार एकाउंट को भी हैकरों ने हैक कर उनकी सभी महत्वपूर्ण डाटा चोरी कर ली है।

रिपोर्ट के अनुसार सबसे ज्यादा एकाउंट निदरलैंड, थाईलैंड, जर्मनी, सिंगापुर और यूएस के डाटावेस से चोरी हुई है। इसका प्रभाव 100से ज्यादा देशों पर पड़ा है। सीएनएन के अनुसार यह आंकडा 21 अक्टूबर का है जो बाद में बढ़ भी सकता है।

पिछली 5 सबसे बड़ी डाटाबेस की चोरियों का रिकॉर्ड इस प्रकार है...
2004 में एओएल की 92 मिलियन डाटा
2007 में टीके-टीजे-मैक्स की 94 मिलियन डाटा
2009 में हॉट्लैंड पेमेंट सिस्टम की 130 मिलियन एकाउंट की चोरी
2009 में ही यूएस मिलिट्री की 76 मिलियन एकाउट
2011 में सोनी प्लेस्टेशलन नेटवर्क की 77 मिलियन डाटा

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हाल ही में एक ऐसा वायरस सामने आया है, यूजर के कम्प्यूटर में फाइलों को कोड लैंग्वेज में बदलकर उन्हें वापस ठीक करने के लिए पैसे की मांग करता है। रैनसमवेयर नाम के इस वायरस का भारत में ज्यादा खतरा है। यहां लगातार इस प्रकार के मामले सामने आ रहे हैं।

यह वायरस यूकैश, बिटकॉइन या मनीपैक जैसी प्रीपेड कार्ड सेवाओं के जरिए 300 डॉलर (करीब 18,500 रुपए) की फिरौती मांगता है। साइबर सिक्यॉरिटी फर्म सिमैन्टेक की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत दुनिया के उन टॉप 5 देशों में शामिल है, जहां रैनसमवेयर सबसे ज्यादा देखे जा रहे हैं।

मैलवेयर रैमसमवेयर (फिरौती मांगने के मकसद से बनाया गया सॉफ्टवेयर) को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि जब तक एक निश्चित राशि नहीं दी जाती है, यूजर का कम्प्यूटर ठप रहता है।

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इस तरह का वायरस फर्जी फेडेक्स या यूपीएस ट्रैकिंग नोटिफिकेशन के जरिए फैलाया जाता है, जिसमें फाइलें अटैच होती हैं और जैसे ही कोई इन फाइलों को खोलता है, क्रिप्टोलॉकर ‍कम्प्यूटर में इंस्टॉल हो जाता है और सभी तरह के फाइलों पर अपना काम शुरू कर देता है।

वायरस फोटो और विडियो समेत सभी चीजों को एन्क्रिप्ट (कोड लैंग्वेज में बदलना) कर देता है। जब यूज़र फाइल खोलने की कोशिश करता है, तो उससे फाइलें डिक्रिप्ट (डिकोडिंग) करने के लिए 300 डॉलर में 'प्राइवेट की' खरीदने को कहा जाता है, जिससे फाइलें डिक्रिप्ट की जा सकती हैं।

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आप इस वायरस के अटैक से कुछ तरीके अपनाकर बच सकते हैं।
- सिस्टम में लाइसेंसी और ओरिजनल एंटी वायरस का प्रयोग करें और उसे लगातार अपडेट करते रहें।
- अगर आपके ई-मेल या सोशल ने‍टवर्किंग साइड पर कोई अनजान लिंक आती है तो उस पर क्लिक न करें।
- सोशल साइट्‍स पर अनजान लोगों से न जुड़ें और न ही उनकी भेजी गई फाइलों को खोलें।
- कुछ एंटी वायरस ऐसी साइट्स के बारे में आगाह कर देते हैं, जो भरोसेमंद नहीं होती हैं। उन वेबसाइट्स पर न जाएं।

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