अध्ययन में यह बात सामने आई कि अतीत में इस तरह के अधिकतर हमले अमेरिका, तुर्की, चीन, ब्राजील, पाकिस्तान, अल्जीरिया, यूरोप और यूएई जैसे देशों से सामने आए और बहुतायत में इंटरनेट और स्मार्टफोन का उपयोग बढ़ने के साथ भारत साइबर अपराधियों के मुख्य निशाने पर आने लगा।
एसोचैम-पीडब्ल्यूसी के संयुक्त अध्ययन के अनुसार, ‘हर गुजरते साल के साथ साइबर हमलों की तीव्रता, आवृत्ति और उनका असर लगातार बढ़े हैं। भारत में 2011 से 2014 तक आईटी अधिनियम, 2000 के तहत दर्ज साइबर अपराध के मामलों की संख्या में करीब 300 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई।’
अध्ययन में कहा गया कि साइबर हमलावर परमाणु संयंत्रों, रेलवे, परिवहन साधनों या अस्पतालों जैसे महत्वपूर्ण तंत्रों पर नियंत्रण हासिल कर सकते हैं जिसके चलते गंभीर परिणाम सामने आ सकते हैं। इनमें बिजली चले जाने, जल प्रदूषण या बाढ़, परिवहन प्रणालियों में अवरोध और जान जाने जैसे दुष्परिणाम शामिल हैं।
‘प्रोटेक्टिंग इंटरकनेक्टिड सिस्टम्स इन द साइबर एरा’ शीर्षक से प्रकाशित अध्ययन के अनुसार इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रेस्पांस टीम ने भी अपने सामने आए मामलों की संख्या में वृद्धि की बात कही है और 2015 में करीब 50,000 सुरक्षा संबंधी वाकये दर्ज किए गए।