ब्राडबैंड ग्राहकों का लक्ष्य पाना मुश्किल

शनिवार, 21 जुलाई 2007 (11:36 IST)
अगर देश के गाँवों को शहरों एवं कस्बों से जोड़ने के लिए आवश्यक बुनियादी ढाँचा तैयार नहीं किया जाता और ग्रामीण क्षेत्रों में 10 हजार रुपए में पर्सनल कम्प्यूटर उपलब्ध नहीं होता है तो 2010 तक दो करोड़ ब्राडबैंड कनेक्शन मुहैया कराने का सरकारी लक्ष्य पूरा नहीं होगा।

उद्योग एवं व्यापार संगठन एसोचैम और फ्रास्ट एंड सुलिवन द्वारा भारत में ब्राडबैंड के बारे में संयुक्त रूप से तैयार की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर पर्याप्त उपाय नहीं किए गए तो 2010 तक मात्र एक करोड़ ब्राडबैंड कनेक्शन ही उपलब्ध कराए जा सकेंगे।

रिपोर्ट में घरों में कम्प्यूटर का प्रयोग बढ़ाने के लिए जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए कहा गया है कि इसके बगैर ब्राडबैंड सुविधा का प्रयोग करने वाले लोगों की संख्या नहीं बढ़ सकेगी।

एसोचैम अध्यक्ष वेणुगोपाल धूत ने कहा कि ब्राडबैंड के प्रसार के मामले में आने वाली रुकावटों को दूर करने के लिए देश की मौजूदा बुनियादी ढाँचे का बेहतर प्रयोग करना ही सबसे अच्छी रणनीति है।

ब्राडबैंड के प्रसार के लिए टेलीफोन लाइनों के अलावा बिजली के तारों का इस्तेमाल एक बेहतर विकल्प साबित होगा, क्योंकि बिजली की लाइनें सभी क्षेत्रों में मौजूद हैं।

उन्होंने कहा कि जब तक ये उपाय नहीं किए जाते, तब तक 2010 तक दो करोड़ उपभोक्ताओं को यह सुविधा मुहैया करा पाना संभव नहीं होगा और इस अवधि में मात्र एक करोड़ कनेक्शन देने का ही लक्ष्य हासिल किया जा सकेगा।

रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि 2013 तक देश में ब्राडबैंड ग्राहकों की संख्या बढ़कर तीन करोड़ दस लाख तक पहुँच जाएगी और इस क्षेत्र में विकास दर 8.9 फीसदी हो जाएगा।

रिपोर्ट के मुताबिक अपने नेटवर्क का बेहतर इस्तेमाल और यूजर को इंटरनेट प्रयोग करने का बेहतर अनुभव प्रदान करना ब्राडबैंड के सेवा प्रदाता कंपनियों के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती होगी।

उदाहरण के तौर पर ब्राडबैंड नेटवर्क की सबसे बड़ी समस्या पीयर टू पीयर ट्रैफिक पीटूपी में कंजेशन की है। अमूमन ब्राडबैंड नेटवर्क में पीटूपी कंजेशन 50 से लेकर 85 फीसदी तक हो सकता है।

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