जैन धर्म ग्रंथ पर आधारित धर्म नहीं है। भगवान महावीर ने सिर्फ प्रवचन ही दिए। उन्होंने कोई ग्रंथ नहीं रचा, लेकिन बाद में उनके गणधरों ने, प्रमुख शिष्यों ने उनके अमृत वचन और प्रवचनों का संग्रह कर लिया।
यह संग्रह मूलत: प्राकृत भाषा में है, विशेष रूप से मागधी में। यहां प्रस्तुत हैं जैन धर्म ग्रंथों (jain dharma granth) पर आधारित साहित्य और रचनाएं।