Amarnath Yatra: अमरनाथ यात्रा (Amarnath Yatra) मार्ग पर उड़ान भरते हुए हाईटेक ड्रोनों को देखकर ऐसा लगता था, जैसे कोई युद्ध के मैदान में खड़ा हो, क्योंकि आसमान पर टकटकी लगाने वाली नजरों को नीचे भी उतना ही सतर्कता बरतनी पड़ रही है, क्योंकि खतरा सिर्फ दुश्मन ड्रोनों (drones) का ही नहीं है बल्कि उन स्टिकी बमों (sticky bombs) का भी है जिनकी तोड़ ढूंढ पाने में अभी तक कोई कामयाबी नहीं मिली है।
पहलगाम और बालटाल से लेकर अमरनाथ गुफा तक के दोनों यात्रा मार्गों पर लंगर लगाने की व्यवस्थाएं लगभग पूरी हो चुकी हैं। हालांकि गुफा के बाहर जमी हुई बर्फ से जूझते हुए लंगर वाले जरूर नजर आ रहे हैं, क्योंकि उन्हें आबंटित की गई जगहों पर बर्फ को खुद ही काटना पड़ रहा था।
केरिपुब के अधिकारियों ने माना है कि इस बार ड्रोनों और स्टिकी बमों के खतरे से निपटने के लिए केरिपुब के जवानों को विशेष रूप से प्रशिक्षित किया गया है, पर स्टिकी बमों को कैसे खोजेंगे फिलहाल कोई तकनीक वे तलाश नहीं कर पाए हैं सिवाय इसके कि लोगों को इसके प्रति सतर्क करें।
हालांकि पुलिस के अधिकारी कहते थे कि यात्रा मार्ग पर ड्रोन हमलों का कोई ऐसा खतरा नहीं है, पर वे कोई खतरा मोल नहीं ले सकते इसलिए एंटी ड्रोन रणनीति भी कई जगहों पर अपनाई गई है तथा सभी सुरक्षाबल अपने अपने ड्रोनों से यात्रा मार्ग पर नजर रखने के अतिरिक्त अवांछित तत्वों की तलाश के लिए भी इन ड्रोनों का इस्तेमाल कर रहे हैं।
यात्रा आरंभ होने में अब मात्र 4 दिनों का ही समय बचा है और इस बार यात्रा के सुरक्षा प्रबंधों में सेना, वायुसेना, नौसेना, केरिपुब, एनएसजी, जम्मू-कश्मीर पुलिस और बीएसएफ के अतिरिक्त सुरक्षाबलों के सभी विंग पूरी तरह से डूब चुके हैं। 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर राज्य के 2 टुकड़े करने के बाद यह पहली बार है कि अमरनाथ यात्रा के लिए इस तरह के सुरक्षा प्रबंध किए गए हों। हालांकि इसमें सबसे अधिक प्रबंध प्राकृतिक आपदा से निपटने के इसलिए किए गए हैं, क्योंकि मौसम विभाग द्वारा 5 दिन पहले ही मानसून के प्रदेश में दस्तक दे दिए जाने के बाद यह आशंका प्रकट की जा रही है कि प्रकृति भी अमरनाथ यात्रा में अपना रौद्र रूप दिखा सकती है।