Javed Ahmad Wani: 3 दिन पहले कश्मीर के कुलगाम (Kulgam) इलाके से जो सेना जवान जावेद अहमद वानी (Javed Ahmad Wani) लापता हो गया था, फिलहाल न ही वह मिला है और न ही उसके प्रति कोई खबर ही मिली है। ऐसे में रो-रोकर बेहाल हो चुके उसके परिजनों को आशंका है कि उसका हश्र पहले लापता हुए जवानों की तरह न हो जिनकी आतंकियों ने हत्या कर दी थी।
जावेद वानी लेह में तैनात था और ईद की छुट्टी पर कश्मीर के कुलगाम स्थित अपने घर आया तो 30 जुलाई को उसका कथित तौर पर अपहरण कर लिया गया। फिलहाल किसी आतंकी गुट द्वारा अपहरण की कोई जिम्मेदारी नहीं लिए जाने से असमंजस की स्थिति इसलिए भी है, क्योंकि उसकी कार से खून के धब्बे मिले थे।
वैसे पुलिस का कहना है कि यह खून शायद उसके द्वारा अपने अपहरण का विरोध करते हुए चोट लगने से बहा होगा।
3 दिनों से सैकड़ों सैनिक और डॉग स्क्वॉड के अतिरिक्त ड्रोन भी उसकी तलाश में लगाए जा चुके हैं, पर किसी को अभी तक कामयाबी नहीं मिली है।
समय के बितने के साथ-साथ आशंकाएं बढ़ती जा रही हैं। ये आशंकाएं इसलिए भी बढ़ी हैं, क्योंकि पिछले कुछ सालों में आतंकियों ने छुट्टी पर आने वाले कई जवानों को अगवा करने के बाद मार डाला था और कइयों को उनके घर के बाहर बुलाकर हत्या कर दी थी।
सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार वर्ष 2017 में आतंकियों ने कश्मीर के पहले युवा सेनाधिकारी ले. उमर फयाज को अपहृत कर मार डाला तो उसके बाद ऐसे अपहरणों और हत्याओं का सिलसिला रुका ही नहीं। 7 सालों में 6 जवानों की हत्या की जा चुकी है। इनमें वर्ष 2018 में पुंछ के औरंगजेब, वर्ष 2020 में शाकिर मल्ला, वर्ष 2022 में समीर और मुख्तार अहमद भी शामिल हैं। हालांकि आतंकवाद के शुरुआत में आतंकियों ने वर्ष 1991 में भी सेना के ले. कर्नल जीएस बाली को अपहृत कर मार डाला था, जो सबसे अधिक दिल दहलाने वाली घटना थी।