Kashmir: इस पर खुशी मनाई जाए या चिंता प्रकट की जाए कि कश्मीर में आतंकवादी (terrorist) बनने का आकर्षण इतना कम हो गया है कि वर्ष 2023 में सिर्फ 10 युवाओं ने ही बंदूक उठाई है। यह पुलिस का दावा है। और खुफिया अधिकारियों (intelligence officials) की चिंता यह है कि कश्मीरी युवा अब हाइब्रिड आतंकी (hybrid terrorists) बन रहे हैं, जो अब सबसे बड़ी चुनौती है।
सेवानिवृत्त पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह और वर्तमान पुलिस महानिदेशक आर.आर. स्वैन हालांकि अब इस बात पर जोर देते थे कि कश्मीर में युवाओं को आतंकी बनने से रोकने पर ही अब ज्यादा जोर दिया जाएगा। उनके बकौल अब एक भी युवक को आतंकी अपने साथ नहीं मिला पाएंगे।
आतंकी गुटों ने अपनी रणनीति बदली : खुफिया अधिकारियों को उस आंकड़े पर शक है, जो इस साल के आतंकी भर्ती के प्रति पेश किया जा रहा है। पुलिस कहती है कि इस साल सबसे कम 10 युवा ही आतंकी बने हैं, पर खुफिया अधिकारी कुछ और ही कहानी पेश करते हुए कहते थे कि आतंकी गुटों ने अपनी रणनीति बदल ली है और वे अब युवाओं को हाइब्रिड आतंकी बना रहे हैं और उनकी जानकारी सार्वजनिक नहीं की जा रही है।
ये होते हैं हाइब्रिड आतंकी : जानकारी के लिए हाइब्रिड आतंकी वे होते हैं, जो आवश्यकता पड़ने पर ही एके-47 राइफल या पिस्तौल का इस्तेमाल कर अपने टारगेट पर निशाना लगाते हैं। खुफिया अधिकारियों के दावे पर यकीन करना इसलिए जरूरी हो गया है, क्योंकि कश्मीर में इस साल होने वाले आतंकी हमलों और हत्याओं में अधिकतर में हाइब्रिड आतंकी ही शामिल थे। इसे पुलिस जांच में खुद माना गया है।
आतंकी भर्ती में उछाल आया था उछाल : अगर आंकड़ों पर एक नजर दौड़ाएं तो वर्ष 2017 से ही आतंकी भर्ती में उछाल आया था। तब वर्ष 2017 में 126, वर्ष 2018 में 218, वर्ष 2019 में 126, वर्ष 2020 में 167, वर्ष 2021 में 128 तथा वर्ष 2022 में 110 युवा आतंकी बने थे। ये आंकड़े वे थे, जो सामने आए थे।
पत्थरबाज बने हाइब्रिड आतंकी : अधिकारी इतना जरूर कहते थे कि आतंकी बनने वालों की संख्या इससे भी ज्यादा होती है, क्योंकि युवकों की गुमशुदगी के कई मामले रिपोर्ट ही नहीं हुए हैं।
ऐसे में पुलिस के लिए नई चुनौती न सिर्फ युवाओं को आतंकी गुटों में शामिल होने से रोकना है बल्कि उन्हें हाइब्रिड आतंकी बनने से भी रोकना है। अगर सूत्रों पर विश्वास करें तो अधिकतर हाइब्रिड आतंकी वे हैं, जो पहले पत्थरबाज थे।