जम्मू। कश्मीर में पहले ही लंदन आई अर्थात फेरिस व्हील लगाने की योजनाएं चल रहीं थीं और अब पर्यटकों के लिए नया आकर्षण फ्लाई डाइनिंग अर्थात हैंगिंग रेस्तरा होगा जो इस बसंत तक बन कर पूरा हो जाने की उम्मीद है। कश्मीर के पहले फ्लाई डाइनिंग अर्थात हैंगिंग रेस्तरा में लोग लजीज खाने का मजा ले सकेंगें।
इस योजना को मूर्त रूप देने वाले मुहम्मद सुल्तान डार का कहना था कि उन्होंने श्रीनगर में इस अनूठे रेस्तरां को स्थापित करने की प्रक्रिया पूरी कर ली है। फ्लाई डाइनिंग की भारत के कई राज्यों में फ्रेंचाइजी है। यहां रेस्तरां की ऊंचाई 160-200 फीट के बीच रखी गई है ताकि मेहमानों को मुंह में पानी लाने वाले व्यंजन खाने के दौरान शहर का बेहतर नजारा मिल सके।
डार ने इस सुविधा को स्थापित करने के लिए अपने दो दोस्तों खुर्शीद अहमद कार और वसीम अहमद वानी के साथ पार्टनरशिप की है। श्रीनगर के शालीमार में फ्लाई डाइनिंग को इस बसंत में जनता के सामने पेश किया जाएगा।
160-200 फीट की ऊंचाई पर स्थित रेस्तरां को क्रेन की मदद से हवा में लटकाया जाता है। रेस्तरां एक समय में कम से कम 24 लोगों को समायोजित कर सकता है। लोग पृष्ठभूमि में ज़बरवान पर्वत श्रृंखला के साथ हवा में भोजन का अनुभव कर सकते हैं।
डार के पार्टनर वानी ने बताया कि अभी हम रेस्तरां के लिए एक सुंदर बगीचा विकसित कर रहे हैं। हम चाहते हैं कि हमारे मेहमान कश्मीर में यूरोप जैसा अनुभव महसूस करें।
इससे पहले सरकार ने कश्मीर में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एक बड़ा फेरिस व्हील (बड़े से पहिए के आकार का झूला) लगाने की योजना बनाई जिसके लिए डल झील के बीच में एक छोटे द्वीप पर जगह चुनी गई है।
इस जगह को डोल डेंब कहते हैं और ये डल झील के बीच में जमीन का टुकड़ा है। इसकी लंबाई करीब 2.5 किमी है। सरकार की योजना इस क्षेत्र को हाई-एंड टूरिज्म के लिहाज से विकसित करने की है।
एक अधिकारी के अनुसार, यह पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र तो बनेगा ही, इसके अलावा ये कश्मीर में सामान्य होते हालात का भी संकेत होगा।
जेएंडके झील संरक्षण एवं प्रबंधन प्राधिकरण ने वैश्विक विशेषज्ञों से इस व्हील के लिए प्री-फीजिबिलटी रिपोर्ट तैयार करने के लिए कहा है। वे इस व्हील प्रोजेक्ट के लिए एक विस्तृत एनालिसिस करेंगे। व्हील का डायामीटर करीब 100 मीटर होगा। अगर इस रिपोर्ट में प्रोजेक्ट को हरी झंडी दिखाई जाती है तो फिर एक टेक्नो-इकोनामिक फीजिबिलटी अध्ययन होगा। इसके बाद डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार की जाएगी और एक टेंडर निकाला जाएगा। अंत में इसका निर्माण कार्य टेंडर हासिल करने वाली एजेंसी को सौंप दिया जाएगा।
Edited by : Nrapendra Gupta