जम्मू कश्मीर और लद्दाख में क्यों परेशान है भाजपा?

सुरेश एस डुग्गर

शनिवार, 30 सितम्बर 2023 (11:40 IST)
Jammu news in hindi : जम्मू कश्मीर और लद्दाख में भारतीय जनता पार्टी कई परेशानियों से गुजर रही है। कश्मीर में पार्टी नेताओं के खिलाफ तेज होते विरोधी स्वर उसकी कश्मीर में जमीन खिसका रहे हैं। पूरे प्रदेश में बिजली के स्मार्ट मीटरों के खिलाफ चल रहे आंदोलन पर उसकी चुप्पी और समर्थन न देने की रणनीति उसके लिए भारी साबित होने वाली है। ऐसा ही कुछ हाल बर्फीले रेगिस्तान लद्दाख के करगिल में होने जा रहे स्वायत परिषद के चुनावों में भाजपा का है।
 
जम्मू कश्मीर में भाजपा ने अपने विद्रोही 8 नेताओं को अनुशासनहीनता के लिए नोटिस जारी किया है और उनसे बिना शर्त माफी मांगने के लिए कहा है।
 
भाजपा ने 11 सितंबर को जम्मू कश्मीर इकाई के उपाध्यक्ष सोफी यूसुफ को पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के लिए भी कारण बताओ नोटिस जारी किया था। उन्हें कुछ समय के लिए मीडिया से बातचीत करने से रोक दिया गया था।
 
कश्मीर के पार्टी प्रभारी यूसुफ को उन खबरों के बीच अनुशासनात्मक नोटिस दिया गया था, जिसमें कहा गया था कि कश्मीर में पार्टी के अधिकतर नेताओं ने पिछले महीने सामूहिक रूप से पार्टी से इस्तीफा देने की योजना बनाई थी।
 
शुक्रवार को, भाजपा की अनुशासनात्मक समिति ने पार्टी के आठ नेताओं - जीएम मीर (प्रवक्ता), डा अली मोहम्मद मीर (राष्ट्रीय परिषद सदस्य), अल्ताफ ठाकुर (प्रवक्ता), आसिफ मसूदी, आरिफ राजा, अनवर खान, मंज़ूर भट और बिलाल पर्रे को नोटिस जारी किया।
 
नोटिस में कहा गया है, कि सोफी यूसुफ के खिलाफ अनुशासनहीनता की जांच करते समय, अनुशासन समिति के संज्ञान में यह आया कि पार्टी में अनुशासन बनाए रखने के लिहाज से हानिकारक गतिविधियों में शामिल होने को लेकर आपमें से प्रत्येक के खिलाफ गंभीर आरोप हैं। इस मामले में अनुशासनहीनता के सबूत हैं। इसमें कहा गया है, आपकी इन गतिविधियों से पार्टी नेतृत्व में अविश्वास की भावना पैदा हुई है।
 
पिछले महीने भी पहले ही जम्मू कश्मीर के नए सीट बंटवारे के बाद केंद्र सरकार पर कश्मीर के भाजपा नेताओं ने आरोप लगा कर अपना विरोध जताना आरंभ किया था और कहा था कि सरकार जान बूझकर कश्मीर की हिस्सेदारी कम करना चाहती है। ऐसे ही कुछ आरोप फिर से लगे हैं लेकिन इस बार कश्मीर में भाजपा नेताओं ने यह आरोप लगाए हैं।
 
इस मामले पर कश्मीरी भाजपा नेताओं ने इस्तीफे की धमकी देते हुए कहा कि पार्टी को प्रदेश संगठन में जम्मू के लोगों का दखल कम करना चाहिए। इसके बाद एक ऐक्शन भी हुआ। पार्टी ने अपने संगठन में तीन बदलाव किये।
 
प्रदेश के सोशल मीडिया प्रभारी अभिजीत जसरोटिया को हटा दिया गया और वीर सराफ जो दक्षिण कश्मीर में पार्टी के प्रभारी थे और मुदासिर वानी जो उत्तरी कश्मीर के प्रभारी थे दोनों को अपने जम्मू मुख्यालय में वापस बुला लिया। अब तक भाजपा प्रदेश में केवल एक बार सत्ता में रही है, वो भी पीडीपी के साथ गठबंधन में।
 
ऐसे समय में जबकि इस बार वह अकेले चुनाव में जाने की सोच रही थी और कश्मीरी भाजपा नेताओं द्वारा विरोध स्वर मुखर कर दिए जाने से भाजपा को प्रदेश में कितना नुकसान उठाना होगा यह तो अब समय ही बता पाएगा।
 
ऐसी ही दशा भाजपा की लद्दाख में होने जा रही है जहां केंद्र शासित प्रदेश (यूटी) में छठी अनुसूची को लागू करने की मांग के बीच 4 अक्तूबर को जब क्षेत्र की लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद (एलएएचडीसी) के लिए मतदान होगा तो मुस्लिम बहुल करगिल जिले में भाजपा को अग्निपरीक्षा का सामना करना पड़ेगा। लद्दाख के केवल 2 जिलों - करगिल और लेह के लिए 2 एलएएचडीसी परिषदें हैं।
 
यह चुनाव महत्वपूर्ण हैं क्योंकि लद्दाख के अलग केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद यह पहली बार होगा कि करगिल परिषद में चुनाव होंगे। लद्दाख में उसकी चिंताए इसलिए बढ़ी हैं क्योंकि उसने एक माह पूर्व ही मुस्लिलम-बौद्ध प्रेम प्रसंग के चलते अपनी पार्टी के लद्दाख के प्रदेश उपाध्यक्ष नजीर अहमद को पार्टी से बाहर कर दिया था। उसके इस कदम ने लेह और करगिल में उसके वोट बैंक को चोट पहुंचाई है।
Edited by : Nrapendra Gupta
 

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