भगवान् श्रीकृष्ण हिन्दुओं के आराध्य देव हैं। विष्णु के दशावतारों में 8वे और 24 अवतारों में 22वे क्रम पर आते हैं श्रीकृष्ण। भगवान् कृष्ण जन्म से ही अपनी लीलाओं के माध्यम से दुनिया को आश्चर्य चकित करते रहे। उनके बारे में कई ऐसी बातें हैं जो हमें अचरज से भर देती हैं।
भगवान श्री कृष्ण की त्वचा का रंग मेघश्यामल था, काला या सांवला नहीं।
भगवान श्री कृष्ण के शरीर से एक मादक गंध निकलती थी। जिसे युद्ध काल में छुपाने का वे हर समय प्रयत्न करते रहते थे।
भगवान श्री कृष्ण का सुकुमार शरीर युद्ध के समय अत्यंत कठोर दिखाई देने लगता था।
भगवान श्री कृष्ण 16 विद्या और 64 कलाओं के ज्ञाता थे इसीलिए उन्हें पूर्णावतार कहा जाता है ।
भगवान् श्री कृष्ण के शंख का नाम पांचजन्य था जो गुलाबी रंग का था।
भगवान् श्री कृष्ण के आयुध चक्र का नाम सुदर्शन था जो लौकिक, दिव्यास्त्र व देवास्त्र तीनों रूपों में कार्य कर सकता था।
प्रचलित अनुश्रुतियों के अनुसार, भगवान श्री कृष्ण ने मार्शल आर्ट का विकास ब्रज क्षेत्र के वनों में किया था।
डांडिया रास का आरंभ भी भगवान् श्री कृष्ण ने ही किया था।
भगवान् श्री कृष्ण अंतिम वर्षों को छोड़कर कभी भी द्वारिका में 6 महीने से अधिक नहीं रहे।
भगवान् श्री कृष्ण के परमधामगमन के समय ना तो उनका एक भी केश श्वेत था और ना ही उनके शरीर पर कोई झुर्री थीं। वे हमेशा युवा ही रहे ।
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