'पत्रं, पुष्पं, फलं, तोयं यो मे भक्त्या प्रयच्छति तदहं भक्त्युपहृतमश्नामि प्रयतात्मन:।'
अर्थ : जो कोई भक्त मेरे लिए प्रेम से पत्र, पुष्प, फल, जल आदि अर्पण करता है, उस शुद्ध बुद्धि निष्काम प्रेमी का प्रेमपूर्वक अर्पण किया हुआ वह पत्र-पुष्पादि मैं सगुण रूप में प्रकट होकर प्रीति सहित खाता हूं। -श्रीकृष्ण
1. कृष्णाटेरियन : इस्कॉन के लोगों ने अपने खुद का भोजन निर्मित किया है जिसे वे कृष्णाटेरियन कहते हैं। यह बहुत ही स्वादिष्ट होता है जो इस्कॉन मंदिरों में मामूली से शुल्क के साथ मिलता है। लेकिन इस पर आरोप लगने के कारण उन्होंने अब मंदिरों में भोजन प्रसादी की व्यवस्था बंद करने की घोषणा की है। यह बहुत हैरानी वाली बात है कि हिन्दू धर्म के प्रचारकों को हिन्दुओं से ही ज्यादा खतरा है।
2. श्रीकृष्ण भोग : भगवान श्रीकृष्ण को साग, कढ़ी और पूरी के अलावा प्रमुख रूप से आठ भोजन प्रिय है- 1.खीर, 2.सूजी का हलुआ या लड्डू, 3.सिवइयां, 4.पूरनपोळी, 5.मालपुआ 6.केसर भात, 7.केले सहित सभी मीठे फल और 8.कलाकंद
3. प्रसाद : श्रीकृष्ण के उपरोक्त भोग के अलावा उन्हें माखन-मिश्री, पंचामृत, नारियल, सुखे मेवे और धनिया पिंजरी का प्रसाद चढ़ाया जाता है।