ब्रज मंडल में श्रीकृष्ण जन्म उत्सव की शुरुआत श्रावण माह से ही प्रारंभ हो जाती है। कान्हा का जन्म भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है। इस बार कृष्ण जन्माष्टमी का 5248वां पर्व 30 अगस्त दिन सोमवार रात्रि को मनाया जाएगा। श्रीकृष्ण का श्रृंगार मंदिरों में अलग और घरों में अलग होता है। मंदिरों में झुले के अलावा डोल को भी सजाया जाता है जबकि घरों में झुले में विराजमान श्रीकृष्ण का श्रृंगार किया जाता है। आओ जानते हैं कि बाल कृष्ण का श्रृंगार कैसे किया जाता है।
1. झुले की सजावट : झुले को फूलों से सजाया जाता है। बाजारों में कई तरह के झुले मिलते हैं। आप अपनी यथाशक्ति के अनुसार झूला लाएं और उसे फूलों से सजाएं। झूला सजाने के लिए लेस या झालर का उपयोग भी कर सकते हैं। झूले के भीतर रेशमी या मखमली कपड़े के तकिये, गादी और रजाई रखें। अब कान्हा जी को तैयार कर झूले में बैठाएं।
2. फूल और माला : श्रीकृष्ण को वैजयंती के फूल और माला पसंद हैं। यदि यह नहीं मिले तो पीले और लाल फूलों का प्रयोग कर सकते हैं।
3. वस्त्र : बाजार में कान्हाजी के लिए सुंदर-सुंदर डिजाइन की ड्रेस मिलती है जिमें मीनाकारी, जरदोरी या काश्तकारी की हुई होती है। यह वस्त्र पीले होते हैं जिनमें हरी डिजाइन होती है।
4. गोपीचंदन : गोपी चन्दन और चन्दन की सुगंध से इनका श्रृंगार करें।
5. पगड़ी : कान्हाजी के सिर पर छोटी उसी रंग और डिजाइन की पगड़ी होती है जिस रंग या डिजाइन के वस्त्र होते हैं। उन्हें पगड़ी पहनाकर उसमें मोर पंख लगाएं।
6. बांसुरी : कान्हाजी के हाथों में छोटी सी सुंदर बांसुरी होती है। उनके हाथों की यह बांसुरी भी अच्छे से रेशिमी धागों से सजी होती है।
7. कड़े और बाजूबंध : कान्हाजी के हाथों में कड़े डालें जो सोने, चांदी या मेटल के भी हो सकते हैं। बाजुओं में बाजूबंध पहनाएं।
8. कुंडल : ठाकुरजी के कानों में मोती, चांदी या सोने के कुंडल पहनाए जाते हैं।
9. पाजेब और कमरबंध : उनके पैरों में चांदी की पायजब या पायल उन्हें पहनाएं। कमर में चांदी या काले रेशमी धागे का ही कमरबंध बांधा जाता है।
10. माला : ठाकुरजी को वैजयंती की माला या मोतियों की माला पहनाएं।
11. टीका : कान्हाजी के माथे पर सुंदर सा चमकता हुआ टीका लगाए। आजकल बाजारों में बना बनाया टीका मिलता है।