Hanuman Jayanti 2024: कुछ लो हनुमान जयंती को जन्मोत्सव कहने पर जोर दे रहे हैं। यानी हनुमानजी के जन्म दिन को जयंती कहना छोड़कर जन्मोत्सव कहें। इसके पीछे तर्क यह दिया जा रहा है कि जयंती तो उसकी मनाते हैं जिसका देहांत हो गया हो। हनुमानजी तो अजर अमर है। तो चलिये जान लेते हैं कि जयंती और जन्मोत्सव का अर्थ क्या होता है।
जयं पुण्यं च कुरुते जयन्तीमिति तां विदुः- (स्कन्दमहापुराण, तिथ्यादितत्त्व)
अर्थात जो जय और पुण्य प्रदान करे उसे जयन्ती कहते हैं। जयंती का अर्थ होता है जिसकी विजय पताका निरंतर लहराती रहती है। जिसकी सर्वत्र जय जय है। जिनका यश, जिनका जय, जिनका विजय अक्षुण है और नित्य है, सदा विद्यमान है। जयंती महापुरुषों और भगवानों की ही होती है। नश्वर शरीर धारियों के लिए जयंती नहीं है। जिनकी कीर्ति, यश, सौभाग्य, विजय निरंतर हो और जिसका नाश न हो सके उसे जयंती कहते हैं। आदिशक्ति महामाया जगतजननी का नाम भी जयंती है।
जन्म और उत्सव यानी जन्मोत्सव। किसी के भी जन्म का उत्सव मनाना। जन्मोत्सव एक सामान्य शब्द है जो किसी भी मनुष्य, देव या भगवान के जन्म अवसर पर उपयोग कर सकते हैं। कृष्णजन्माष्टमी को कृष्णजन्मोत्सव भी कहते हैं। किन्तु जब यही अष्टमी अर्धरात्रि में पहले या बाद में रोहिणी नक्षत्र से युक्त हो जाती है तब इसकी संज्ञा कृष्ण जयन्ती हो जाती है।
निष्कर्ष : हनुमानजी के जन्मोत्सव को जयंती कहना बिल्कुल उचित है इसमें कुछ भी अनुचित नहीं है।