Hanuman jayanti 2025: वर्ष 2025 में हनुमान जयंती 12 अप्रैल शनिवार के दिन रहेगी। उत्तर भारत में चैत्र मास की पूर्णिमा के दिन हनुमान जयंती मनाते हैं। आन्ध्र प्रदेश तथा तेलंगाना में हनुमान जन्मोत्सव चैत्र पूर्णिमा से प्रारम्भ होकर वैशाख माह में कृष्ण पक्ष के दौरान दसवें दिन समाप्त होती है। तमिलनाडु में हनुमान जयंती मार्गशीर्ष अमावस्या के दौरान मनाया जाता है। कर्नाटक में, मार्गशीर्ष माह की शुक्ल पक्ष त्रयोदशी को हनुमान जयंती मनाते हैं। इस बार हनुमान जयंती पर कई शुभ योग बन रहे हैं। जानिए क्या रहेगा पूजा का शुभ मुहूर्त।
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ- 12 अप्रैल 2025 को तड़के 03:21 बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त- 13 अप्रैल 2025 को प्रात: 05:51 बजे तक।
उदातिथि के अनुसार 12 अप्रैल को हनुमान जयंती रहेगी।
शुभ संयोग: इस दिन शनिवार रहेगा। इस दिन शाम 06:08 तक हस्त नक्षत्र रहेगा।
हनुमान पूजा का शुभ मुहूर्त:-
अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:56 से दोपहर 12:48 के बीच।
अमृत काल: सुबह 11:23 से दोपहर 01:11 के बीच।
गोधूलि मुहूर्त: शाम 06:44 से 07:06 के बीच।
सन्ध्या पूजा मुहूर्त: शाम 06:45 से रात्रि 07:52 के बीच।
निशीथ काल मुहूर्त: मध्यरात्रि 11:59 से 12:44 के बीच।
सुबह पूजा का मुहूर्त- सुबह 07.35 से सुबह 09.10 तक।
शाम पूजा का मुहूर्त- शाम 06.45 से रात 08.09 तक।
हनुमान पूजा की विधि:-
- प्रात:काल स्नान-ध्यान से निवृत हो व्रत का संकल्प लें और पूजा की तैयारी करें।
- हनुमानजी की मूर्ति या चित्र को लाल या पीला कपड़ा बिछाकर लकड़ी के पाट पर रखें और आप खुद कुश के आसन पर बैठें।
- मूर्ति को स्नान कराएं और यदि चित्र है तो उसे अच्छे से साफ करें।
- इसके बाद धूप, दीप प्रज्वलित करके पूजा प्रारंभ करें। हनुमानजी को घी का दीपक जलाएं।
- हनुमानजी को अनामिका अंगुली से तिलक लगाएं, सिंदूर अर्पित करें, गंध, चंदन आदि लगाएं और फिर उन्हें हार और फूल चढ़ाएं।
- यदि मूर्ति का अभिषेक करना चाहते हैं तो कच्चा दूध, दही, घी और शहद यानी पंचामृत से उनका अभिषेक करें, फिर पूजा करें।
- अच्छे से पंचोपचार पूजा करने के बाद उन्हें नैवेद्य अर्पित करें। नमक, मिर्च और तेल का प्रयोग नैवेद्य में नहीं किया जाता है।
- गुड़-चने का प्रसाद जरूर अर्पित करें। इसके आलावा केसरिया बूंदी के लड्डू, बेसन के लड्डू, चूरमा, मालपुआ या मलाई मिश्री का भोग लगाएं।
- यदि कोई मनोकामना है तो उन्हें पान का बीड़ा अर्पित करके अपनी मनोकामना बोलें।
- अंत में हनुमानजी की आरती उतारें और उनकी आरती करें।
- उनकी आरती करके नैवेद्य को पुन: उन्हें अर्पित करें और अंत में उसे प्रसाद रूप में सभी को बांट दें।