हनुमान वज्र कथा :
एक दिन मारुती अपनी निद्रा से जागे और उन्हें तीव्र भूख लगी...उन्होंने पास के एक वृक्ष पर लाल पका फल देखा। जिसे खाने के लिए वे निकल पड़े दरअसल मारुती जिसे लाल पका फल समझ रहे थे वे सूर्यदेव थे। वह अमावस्या का दिन था और राहु सूर्य को ग्रहण लगाने वाले थे। लेकिन वे सूर्य को ग्रहण लगा पाते उससे पहले ही हनुमान जी ने सूर्य को निगल लिया। राहु कुछ समझ नहीं पाए कि हो क्या रहा है? उन्होने इंद्र से सहायता मांगी। इंद्रदेव के बार-बार आग्रह करने पर जब हनुमान जी ने सूर्यदेव को मुक्त नहीं किया तो, इंद्र ने वज्र से उनके मुख पर प्रहार किया जिससे सूर्यदेव मुक्त हुए।