करवा चौथ की पूजन सामग्री और व्रत की विधि

गुरुवार, 13 अक्टूबर 2022 (11:19 IST)
13 अक्टूबर 2022 गुरुवार को करवा चौथ का निर्जला व्रत रखकर विधिवत पूजा की जाती है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और उनकी उन्नति के साथ ही परिवार की सुख समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं। आओ जानते हैं कि करवा चौथ पूजा की क्या है पूजन सामग्री और कैसे करते हैं इसकी पूजा। करवा चौथ के दिन करवा माता की पूजा के साथ ही शिव-पार्वती की पूजा का विधान है। करवा चौथ के दिन चंद्रमा की पूजा का धार्मिक और ज्योतिष दोनों ही दृष्टि से महत्व है।
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करवा चौथ पर्व की पूजन सामग्री | karva chauth ki puja samagri:
 
कुंकुम, शहद, अगरबत्ती, पुष्प, कच्चा दूध, शक्कर, शुद्ध घी, दही, मेंहदी, मिठाई, गंगाजल, चंदन, चावल, सिन्दूर, मेंहदी, महावर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी, बिछुआ, मिट्टी का टोंटीदार करवा व ढक्कन, दीपक, रुई, कपूर, गेहूँ, शक्कर का बूरा, हल्दी, पानी का लोटा, गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी, लकड़ी का आसन, छलनी, आठ पूरियों की अठावरी, हलुआ, दक्षिणा के लिए पैसे। सम्पूर्ण सामग्री को एकत्रित कर लें।
 
करवा चौथ पूजन विधि | karva chauth pooja ka saral tarika vidhi:
 
- सूर्योदय से पूर्व ही उठकर स्नान कर स्वच्छ कपड़े पहन लें तथा शृंगार भी कर लें।
 
- स्नानादि करने के पश्चात यह संकल्प बोलकर करवा चौथ व्रत का आरंभ करें। व्रत के दिन निर्जला रहे यानि जलपान ना करें।
 
- प्रातः पूजा के समय इस मन्त्र के जप से व्रत प्रारंभ किया जाता है- 
 
'मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये।'
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अथवा-
ॐ शिवायै नमः' से पार्वती का, 
'ॐ नमः शिवाय' से शिव का, 
'ॐ षण्मुखाय नमः' से स्वामी कार्तिकेय का, 'ॐ गणेशाय नमः' से गणेश का तथा 
'ॐ सोमाय नमः' से चंद्रमा का पूजन करें।
 
- शाम के समय, मां पार्वती की प्रतिमा की गोद में श्रीगणेश को विराजमान कर उन्हें बालू अथवा सफेद मिट्टी की वेदी अथवा लकड़ी के आसार पर शिव-पार्वती, स्वामी कार्तिकेय, गणेश एवं चंद्रमा की स्थापना करें। 
 
- मूर्ति के अभाव में सुपारी पर नाड़ा बांधकर देवता की भावना करके स्थापित करें। 
 
- इसके बाद मां पार्वती का सुहाग सामग्री आदि से श्रृंगार करें।
 
- भगवान शिव और मां पार्वती की आराधना करें और कोरे करवे में पानी भरकर पूजा करें। 
 
- एक लोटा, एक वस्त्र व एक विशेष करवा दक्षिणा के रूप में अर्पित करें।
 
- सौभाग्यवती स्त्रियां पूरे दिन का व्रत कर व्रत की कथा का श्रवण करें। 
 
- चंद्रोदय के बाद चांद को अर्घ्य देकर अपने पति के हाथ से जल एवं मिष्ठान खाकर व्रत खोले।

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