बेटी के लिए कोच ढूंढना था तो पिता ने ही सीख ली तीरंदाजी, अब खेलो इंडिया में चलाएगी तीर

Webdunia
गुरुवार, 2 फ़रवरी 2023 (15:09 IST)
जबलपुर: पांचवीं बार खेलो इंडिया यूथ गेम्स में हिस्सा लेने जा रही हरियाणा के करनाल की तीरंदाज रिद्धि की कहानी औरों से जुदा है। आमतौर पर खिलाड़ी पहले अपनी पसंद के खेल को चुनता है और फिर गुरु की तलाश पूरी कर उसमें महारथ हासिल करता है, लेकिन रिद्धि के पिता ने अपनी बेटी के लिये तीरंदाजी को चुनने के बाद पहले खुद इसे सीखा और फिर बेटी के पहले गुरु बने।
 
आइस क्यूब का बिजनेस करने वाले मनोज कुमार की इस लगन का नतीजा ही है कि उनकी 18 साल की बेटी पांचवीं बार खेलो इंडिया यूथ गेम्स की शोभा बढ़ाने जा रही है। दो साल पहले रिद्धि को भारत सरकार की ‘टारगेट ओलंपिक पोडियम योजना (टॉप्स) के विकासशील युवाओं की सूची में जगह मिली थी। रिद्धी मानती हैं कि हर बीतते साल के साथ खेलो इंडिया यूथ गेम्स बेहतर हुए हैं और यह युवा खिलाड़ियों के लिये एक बेहतरीन मंच बन चुका है।
 
रिद्धि ने 2018 में नयी दिल्ली में आयोजित पहले खेलो इंडिया स्कूल गेम्स में हिस्सा लिया था, जहां वह आठवें स्थान पर रहीं। पुणे में वह चौथे स्थान पर रही थीं, जबकि गुवाहाटी में उसने अपने प्रदर्शन को बेहतर करते हुए कांस्य पदक जीता था। पिछले साल पंचकूला में हुए खेलों में रिद्धि ने अपने जीवन का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करके स्वर्ण पदक जीता था।
 
अपने अंतिम यूथ खेलों में हिस्सा ले रहीं रिद्धि ने कहा, “मेरे पापा खुद तीरंदाजी कोच हैं। उन्होंने मुझे सिखाने के लिये पहले खुद तीरंदाजी सीखी है। वह अब करनाल में और कुरुक्षेत्र में अकादमी में कोचिंग देते हैं। मैं जहां से हूं, वहां आसपास कोई तीरंदाजी अकादमी या कोच नहीं है, लिहाजा मेरे पापा ने गुरुग्राम से तीरंदाजी सीखी फिर मुझे लकड़ी के कमान पर सिखाई। मैंने चार साल लकड़ी की कमान चलायी है। फिर 2016 में मैंने मुड़ा हुआ धनुष इस्तेमाल करना शुरू किया। मेरे पापा का मानना था कि तीरंदाजी एक व्यक्तिगत खेल है और इसमें दूसरे खेलों की तरह चोटें कम लगती हैं।”
<

The story of the Karnal based Haryana archer Riddhi, who is going to participate in the Khelo India Youth Game #KheloIndiaInMP #KheloIndiaYouthGames2022
read Here https://t.co/JPAjQENz8x pic.twitter.com/XwE2dEvZsj

— Sports Trumpet (@Sportstrumpet) January 30, 2023 >
अपने छोटे से करियर में रिद्धि भारत की सीनियर राष्ट्रीय टीम के लिये भी खेल चुकी हैं। पिछले साल वह फरवरी में फुकेट में आयोजित जूनियर एशिया कप में खेली थीं, जहां उन्हें दो रजत पदक (मिश्रित टीम और टीम) मिले थे। उसके बाद रिद्धि ने हरियाणा की ओर से मार्च 2022 में सीनियर नेशनल खेला जहां उनके नाम सोना आया था। वह इसके बाद एशियाई खेलों के लिये राष्ट्रीय खेल प्राधिकरण (साई) के सोनीपत शिविर में ट्रायल्स में शरीक हुईं और टीम में चुनी भी गयीं, हालांकि कोरोना के कारण एशियाई खेल टाल दिये गये।
 
रिद्धि ने अंतरराष्ट्रीय स्तर के अपने सफर पर कहा, “विश्व कप के लिये ए और बी टीमें बनी थीं। मैं ए टीम में थी और तीन विश्व कप खेली। पहला विश्व कप तुर्की में हुआ जिसमें मेरा मिश्रित टीम में मेरे प्रेरणास्रोत तरुणदीप राय सर के साथ स्वर्ण पदक आया। अगला विश्व कप मई में कोरिया में हुआ जहां मेरी टीम कांस्य पदक जीती। जून में पेरिस विश्व कप में हालांकि मुझे कोई पदक नहीं मिला।”
 
साई सोनीपत सेंटर में दिन में सात-आठ घंटे अभ्यास करने वाली रिद्धी ने कहा कि खेलो इंडिया यूथ गेम्स युवाओं को प्रेरणा देने वाला मंच है।
 
रिद्धि ने यूथ गेम्स में पहली बार हिस्सा ले रहे खिलाड़ियों को संदेश देते हुए कहा, “अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दें और दबाव लेने से बचें क्योंकि तीरंदाजी एक ऐसा खेल है जहां दिल की धड़कनें बढ़ने से निशाना चूकने का अंदेशा रहता है। खेलो इंडिया एक बेहतरीन मंच है और इसका उपयोग हर हाल में अपने टैलेंट को दुनिया के सामने लाने के लिये किया जाना चाहिए।”(एजेंसी)