धरा फूली न समाई

पीली पत्ते

पेड़ों ने उतारे

और नए हरे

शाखाओं पर सगवारे!

बसंती रंग का जादू

सब पर छाया।

वसंत ऋतु ने

सबकों भरमाया।

हल्की-हल्की

गुनगुनी धूप,

तन-मन को

भाए खूब।

सर्दियों के

उठने लगे डेरे

मौसम के भी

पूरे हुए फेरे

पीली सरसों

खेतों में इठलाई,

पलास की जाग

उठी तरुणाई।

देख-देख जिसे

धरा खुशी से

फूली न समाई।

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