हाथी बड़ा भुखेला अम्मा, हाथी बड़ा भुखेला। खड़ा रहा मैं ठगा ठगा-सा, खाएं अस्सी केला अम्मा, खाएं अस्सी केला।
सूंड़ बढ़ाकर रोटी छीनी, दाल फुरक कर खाई। चाची ने जब पुड़ी परोसी, लपकी और उठाई। कितना खाता पता नहीं है, पेट बड़ा-सा थैला अम्मा, पेट बड़ा-सा थैला।
चाल निराली थल्लर-थल्लर, चलता है मतवाला। राजा जैसॆ डग्गम-डग्गम, जैसे मोटा लाला। पकड़ सूंड़ से नरियल फोड़ा, पूरा निकला भेला अम्मा, पूरा निकला भेला।
पैर बहुत मोटे हैं उसके, ज्यों बरगद के खंभे। मुंह के अगल-बगल में चिपके, दांत बहुत हैं लंबे। रहता राजकुमारों जैसा, पास नहीं है धेला अम्मा, पास नहीं है धेला।
पत्ते खाता डाल गिराता, ऊधम करता भारी। लगता थानेदार सरीखा, बहुत बड़ा अधिकारी। पेड़ उठाकर इस कोने से, उस कोने तक ठेला अम्मा, उस कोने तक ठेला।