खेलकूद कर जब घर आए गलफुल्ले,
अम्मा बापू पर चिल्लाए गलफुल्ले।
घर क्यों बहुत देर से आए गलफुल्ले।
दादाजी ने जब गुस्से से डांटा तो,
बोल नहीं कुछ भी थे पाए गलफुल्ले।
दादीजी ने बड़े प्रेम से समझाया,
गर्दन झुका बहुत शर्माए गलफुल्ले।
अम्मा बापू के चरणों में शीश रखा,