दिवाली कविता : खुशियों की बहार

- पंकज डेहरिया
 

 

दिवाली खुशियों की लाती बहार है।
लक्ष्मी की पूजा को हम सब तैयार हैं।।
 
फेंक दो वे सब चीजें हुईं जो बेकार हैं। 
नई-नई चीजों से घर का श्रृंगार है।।
 
दीपों से दीप जले फैली चमकार है।
फुलझड़ी पटाखे हैं चकरी-अनार हैं।।
 
ध्यान रखें उनका भी लोग जो बीमार हैं।
कष्ट देता शोर और धुआं धक्कार है।।
 
स्वच्छता दीपावली का सबको उपहार है।
रक्षा करना इसकी अपना संस्कार है।।

साभार- देवपुत्र 

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