कविता : शिक्षा का संस्थान...

शिक्षा का संस्थान है ये,
विद्यार्थी यहां पे आते हैं।


 
विद्या के सागर में लोट-पोट कर,
डुबकी यहां लगाते हैं।
 
संस्कारों से भरा-पूरा है,
गुरुजन यहां के श्रेष्ठ।
शिक्षा ग्रहण शिष्य सब करते,
होकर बड़े सचेत।
 
कोई अफसर कोई वैज्ञानिक,
इंजीनियर बन नाम कमाते हैं।
विद्या के सागर में लोट-पोट कर,
डुबकी यहां लगाते हैं।
 
अनुशासन में रहकर पढ़ते,
अपनाते हैं ज्ञान।
होनहार बन जाते हैं,
मिलता है सम्मान।
 
लैला-मजनूं जो बनकर घूमे,
जीवनभर पछताते हैं।
विद्या के सागर में लोट-पोट कर,
डुबकी यहां लगाते हैं।

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