बाल लेखनी : मेरा तोता...

- महेन्द्र कुमार देवांगन


 
मेरा तोता बड़ा अलबेला,
गाए दिनभर गान।
राम-राम वह सभी को बोले,
मारे दिनभर तान।
 
हरी-हरी मिर्च जब खाता,
कितना खुश हो जाता।
उधर-उधर से घूम-घामकर,
फिर से घर आ जाता।
 
दादी मां के कंधे पर वह,
उड़-उड़ करके बैठे।
बोले सीताराम मजे से,
ये फिर बोले टें टें।

साभार- देवपुत्र 

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