{मंच के पीछे से इतिहास की आवाज आ रही है}
[भारतवर्ष गुलाम है, ब्रिटिश हुकूमत का दमन चक्र जारी है। चारों और त्राहि-त्राहि मची है। उनके निरंकुश शासन के आगे आमजन असहाय हैं लेकिन नवयुवकों में आजादी पाने का जुनून सवार है। सरदार भगतसिंह, चंद्रशेखर आजाद, राम प्रसाद बिस्मिल, बटुकेश्वर दत्ता, भगवानदास माहौर, पंडित परमानंद और सदाशिवराव मलकापुरकर जैसे हजारों युवक अपने प्राणों की बाजी लगाकर अंग्रेजों को नाकों चने चबाने को मजबूर कर रहे हैं।