पंडितजी ने खुशी-खुशी स्वीकृति दे दी। अब पंडितजी प्रतिदिन नदी पार कर मंत्री को भागवत कथा सुनाने जाने लगे। एक दिन जब पंडितजी नदी पार कर रहे थे तो एक घड़ियाल ने पानी से सिर बाहर निकालकर कहा- पंडितजी, आते-जाते मुझे भी भागवत कथा सुना दिया कीजिए, मैं आपको मोटी दक्षिणा दूंगा, यह कहकर उसने अपने मुंह एक हीरों का हार निकालकर पंडित को दिया।