चलता-फिरता बिजलीघर

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कुएँ की जगत पर खड़े होकर सिर्फ हाथों से बाल्टी से बँधी रस्सी खींचने के बजाय गिर्री पर से होकर आती रस्सी खींचना आसान होता है। एक के बजाय कई गिर्रियों की प्रणाली हो तो एक भरी हुई बाल्टी का वजन कई गुना कम हो जाता है।

इसी बात का फायदा लेकर न्यूटन ने अपने घर में ऐसी व्यवस्था की थी कि उनके घर में प्रवेश करने वाला कोई भी व्यक्ति जब धक्का देकर दरवाजा खोलता तो अनजाने में ही वह न्यूटन के घर की छत पर लगी टंकी में एक बाल्टी पानी भर देता।

हम टहलते हैं, हाथ नचाते हैं, सिर मटकाते हैं या पलकें झपकाते हैं। ये सब हलचलें हैं, जिनमें ऊर्जा खर्च तो होती है और भौतिक शास्त्र के सिद्धांतों के अनुसार यह यांत्रिक ऊर्जा विद्युत ऊर्जा में बदली जा सकती है। सन्‌ 1920 में एक घड़ीसाज़ ने इस सिद्धांत का प्रत्यक्ष उपयोग किया। उसने हाथों के हिलने-डुलने से कलाई घड़ी में अपने आप चाबी भरने वाली स्रिंग का आविष्कार किया। आज टेक्नोलॉजी इतनी आगे बढ़ गई है कि हमारे शरीर की छोटी से छोटी हरकत से पैदा हुई ऊर्जा को बिजली में बदला जा सकता है।
  इसी बात का फायदा लेकर न्यूटन ने अपने घर में ऐसी व्यवस्था की थी कि उनके घर में प्रवेश करने वाला कोई भी व्यक्ति जब धक्का देकर दरवाजा खोलता तो अनजाने में ही वह न्यूटन के घर की छत पर लगी टंकी में एक बाल्टी पानी भर देता।      


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देखिए, मनुष्य का शरीर कितना अद्भुत पॉवर हाउस ह
चलने से -
यांत्रिक ऊर्जा : 67.00 वॉट
विद्युत ऊर्जा : 11.39 वॉट

उँगलियों से टाइप करने से-
यांत्रिक ऊर्जा : 6.9 से 19 मिली वॉट
विद्युत ऊर्जा : 1.2 से 3.2 मिली वॉट

बाँहों की हलचल से-
यांत्रिक ऊर्जा : 3.0 वॉट
विद्युत ऊर्जा : 0.51 वॉट

साँस अंदर लेने से-
यांत्रिक ऊर्जा : 0.83 वॉट
विद्युत ऊर्जा : 0.14 वॉट
यांत्रिक ऊर्जा : 1.0 वॉट
विद्युत ऊर्जा : 0.17 वॉट

खून के बहने से-
यांत्रिक ऊर्जा : 0.93 वॉट
विद्युत ऊर्जा : 0.16 वॉट

इस सूक्ष्म विद्युत ऊर्जा का उपयोग शरीर के अंदर लगाए जाने वाले पेस मेकर को रिचार्ज करने के लिए या डायबेटिक लोगों के खून में मौजूद शक्कर को नापने के लिए हो सकेगा