ढूँढो एक मिलेंगे लाख

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आप एक ढूँढे और लाख मिल जाए, यह बात अजीब है। पर यह सच है।

चीन जैसे बड़े और इंसानों से भरे-पूरे देश में नामों का बड़ा टोटा है। कुल जमा एक सौ उपनाम (या सरनेम) 131 करोड़ लोगों को मिल-बाँटकर लिखने पड़ते हैं।

वे खुद ही इन नामों के कारण इतने उलझन में रहते हैं कि गैर चीनी लोगों से बिलकुल उम्मीद नहीं की जा सकती कि वे एक ही नाम के दस-बीस लोगों को पहचानें।

अब वांग ताओ नाम चीन में इतना लोकप्रिय है कि चीन की विज्ञान अकादमी को एक लाख वांग ताओ मिले।

इसके लिए जिम्मेदार वहाँ का एक नियम है, जिसके अनुसार बच्चे सिर्फ अपने पिता या माता का उपनाम ही ले सकते हैं।
कोई ऑप्शन न होने की वजह से चीन में 9.3 लाख तो वांग ही हैं। 9.2 लाख ली, 8.8 लाख झांग हैं। 20 लाख लोगों के उपनाम चेन, झाउ या लिन हैं।

चीन की सरकार अब यह मामला सुलझाने के लिए एक नया कानून बना रही है, जिसमें माता-पिता के उपनामों को मिलाया जा सकेगा।

झाउ के पिता और झू नाम की माँ के बच्चे का नाम झाउ, झू, झाउझू, झूझाउ हो सकता है। झाउझाऊ या झूझू के बारे में स्थिति स्पष्ट नहीं है।

स्पष्ट हो भी जाए तो गैर चीनियों की उलझन खास कम नहीं होगी, लेकिन बीजिंग में बैठे अधिकारी सोचते हैं कि उससे चीनियों के रोजमर्रा का जीवन आसान हो जाएगा।

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