बादलों में कंप्यूटर

राम यादव

बुधवार, 9 मार्च 2011 (12:41 IST)
डिजिटल संसूचना तकनीक (इन्फ़ॉर्मेशन टेक्नॉलॉजी) का क्रांतिकारी युग कोई चार दशक पहले जब शुरू हुआ था, तब लोगों के पास निजी कंप्यूटर (पीसी) नहीं होते थे। उस समय के कंप्यूटर बहुत बड़े-बड़े और इतने भारी-भरकम हुआ करते थे कि वे केवल सरकारी कार्यालयों, निजी बड़ी कंपनियों और विश्वविद्यालयों के ही बल-बूते की बात थे। उनका उपयोग कर सकना भी इतना पेचीदा होता था कि केवल अच्छे जानकार ही उन्हें हाथ लगा सकते थे।

इस क्रांति के दूसरे चरण ने जन्म दिया उन छोटे और हल्के कंप्यूटरों को, जिन्हें आज हम निजी (पर्सनल) कंप्यूटर कहते हैं। और, अब शुरू हो रहा है इस क्रांति का तीसरा चरण, जिसे ''क्लाउड कंप्यूटिंग'' की संज्ञा दी गयी है।

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क्लाउड कंप्यूटिंग : क्लाउड कंप्यूटिंग का शाब्दिक अर्थ भले ही 'बादलों में संगणना' हो, माइक्रोसॉफ्ट के स्टीव बाल्मर के शब्दों में अभिप्राय है ''सभी सूचनाएँ हर जगह और हर समय उलब्ध'' करना। कैसे, यही जर्मनी के हनोवर नगर में हर वर्ष लगने वाले कंप्यूटर विश्व मेले ''सेबिट'' में इस बार केंद्रिय विषय था। मार्च के पहले सप्ताह में लगे संसार के अपने ढंग के इस सबसे बड़े मेले में 70 देशों की सवा चार हज़ार कंपनियों ने भाग लिया।

क्लाउड कंप्यूटिंग, यानी इंटरनेट के माध्यम से हर तरह के डेटा संग्रहित एवं सेवाएँ उपलब्ध करने की नयी संभावनाओं और उनसे जुड़ी तकनीक की इस मेले से जो झलक मिली, वह चमत्कारिक भी है और चिंताजनक भी।

कह सकते हैं कि एक सीमित पैमाने पर हम क्लाउड कंप्यूटिंग का अभी से कुछ न कुछ उपयोग कर रहे हैं, अपने उपयोग को इस नाम से अब तक भले ही नहीं जानते थे। अपने दोस्तों-मित्रों को दिखाने लिए जब हम किसी वेब-अल्बम में फ़ोटो अपलोड करते हैं, किसी इंटरनेट डाक सेवा का लाभ उठाते हैं या किसी इंटरनेट डायरी में नाम-पते और यह नोट करते हैं कि कब क्या काम करना है या किस से कहाँ मिलना-जुलना है, तो इंटरनेट के द्वारा किसी दूसरे बड़े कंप्यूटर का लाभ उठा रहे होते हैं। यही क्लाउड कंप्यूटिंग है।

दूसरे शब्दों में, जब भी हम कंप्यूटर से होने वाले किसी काम के लिए या किसी डेटाबैंक का लाभ उठाने के लिए अपने निजी कंप्यूटर के माध्यम से किसी बाहरी व्यावसायिक सर्वर (बड़े कंप्यूटर) का उपयोग करते हैं, तब क्लाउड कंप्यूटिंग कर रहे होते हैं।

जब भी हम कंप्यूटर से होने वाले किसी काम के लिए या किसी डेटाबैंक का लाभ उठाने के लिए अपने निजी कंप्यूटर के माध्यम से किसी बाहरी व्यावसायिक सर्वर (बड़े कंप्यूटर) का उपयोग करते हैं, तब क्लाउड कंप्यूटिंग कर रहे होते हैं।
क्लाउड कंप्यूटिंग का नया आयाम : इस क्लाउड कंप्यूटिंग का नया आयाम यह है कि हम से कहा जा रहा है कि हम पूरी तरह आत्मनिर्भर होने के चक्कर में मँहगे निजी कंप्यूटर खरीदने और उन्हें हर तरह के प्रयोजनों (ऐप्लीकेशन) वाले सॉफ्टवेयर से लैस करने के बदले किसी बाहरी सर्वर की सेवाएँ किराए पर लें। एक तर्क यह भी है कि क्योंकि हम हमेशा 'मोबाइल' रहना चाहते हैं, घर से बाहर भी हर समय इंटरनेट से जुड़े रहना चाहते हैं, लेकिन अपने मोबाइल फ़ोन या टैबलेट (लघु) कंप्यूटर में वे सारी क्षमताएँ नहीं ठूँस सकते, जो एक बड़े सर्वर कंप्यूटर में हो सकती हैं, इसलिए भी क्लाउड कंप्यूटिंग ज़रूरी है।

ज़ेब पर है नज़र : कहा जा रहा है कि भविष्य में चश्मों और घड़ियों जैसी बिल्कुल नीजी उपयोग व पसंद-नापसंद की बहुत सारी चीज़ें ऐसी होंगी, जो तरह-तरह के मंहगे सॉफ्टवेयर से लैस होने के बदले इंटरनेट के माध्यम से किराये के किसी सर्वर से जुड़ी रहेंगी। वे उसे अपने डेटा भेजा करेंगी और वही उनके उपयोक्ता (यूज़र) की पसंद और प्राथमिकताओं के अनुसार डेटा 'प्रॉसेस' कर परिणाम उपयोक्ता के पास भेजा करेगा।

डेटा त्सुनामी : ''बुद्धिमत्ता वस्तुओं में नहीं, इंटरनेट में होगी,'' कहना है इस नये कल के उद्घोषकों का। उनकी भविष्यवाणी है कि 'स्मार्टफ़ोन' और 'टैबलेट पीसी' जैसे वायरलेस उपकरणों का प्रसार-प्रचार जितना बढ़ेगा, क्लाउड कंप्यूटिंग के उपयोग में भी उतनी ही तेज़ी आयेगी। बाज़ार सर्वेक्षक कैरिस एंड कंपनी का अनुमान है कि इस चालू वर्ष में संसार भर में इस तरह के उपकरणों की बिक्री, 2010 की तुलना में, तीन गुना बढ़ कर 5 करोड़ 40 लाख हो जायेगी।

विश्व बाज़ार सर्वेक्षक एक अन्य कंपनी गार्टनर का मानना है कि तथाकथित ''ऐप-स्टोर'' से डाउनलोड किये जाने वाले कंप्यूटर प्रयोजनों की संख्या 2014 तक 76 अरब हो जायेगी, जबकि 2010 में वह केवल 8 अरब थी। कुछ विशेषज्ञ इसे "डेटा त्सुनामी" बता रहे हैं। वे आशंकित हैं कि ब्राडबैंड इंटरनेट का इस समय जो अपर्याप्त संजाल है, उसे देखते हुए क्लाउड कंप्यूटिंग से पैदा होने वाला भावी अकूत डेटा-प्रवाह विश्वव्यापी डेटा संचार के चरमराने का कारण बन सकता है।

नयी सेवाएँ : कुछ ऐसी नयी सेवाएँ भी इस बीच आकार ग्रहण करने लगी हैं, जो मोबाइल फ़ोन के लिए उपलब्ध तकनीक और इंटरनेट पर डेटा-बोझ को कई गुना बढ़ा सकती हैं। जैसे, किसी को यदि कहीं कोई कार किराये पर लेनी है, तो वह अपने स्मार्टफ़ोन की मदद से उसे खोज कर तुरंत किराये पर ले सकता है। कम दूरी की एक नयी संचार तकनीक "नीयर फ़ील्ड कम्यूनिकेश (NFC)'' की मदद से वह बिना कोई चाभी घुमाए कार का इंजन चालू कर सकता है। कहने की आवश्यकता नहीं कार का किराया भी उपयोक्ता अपने स्मार्टफ़ोन के द्वारा ही अदा कर देगा। आज जिन भुगतानों के लिए क्रेडिट कार्ड की ज़रूरत पड़ती है, भविष्य में वे भुगतान मोबाइल फ़ोन के द्वारा किये जा सकेंगे।

इसी तरह, आप कहीं जा रहे हैं, रास्ते में हैं और लगे हाथ किसी दोस्त या परिचित से मिल लेना चाहते हैं। इंटरनेट आधारित "लोकेशन बेस्ड सर्विसेज़ (LBS)'' की मदद से आप पहले तो यह जान सकते हैं कि आप हैं कहाँ और फिर फ़ेसबुक की मदद से यह पता लगा सकते हैं कि वहाँ आस-पास में कौन रहता है। कार में लगा नेविगेटर (मार्गदर्शक) आपको उस व्यक्ति के घर का रास्ता बताते हुए वहाँ तक पहुँचा देगा। आप चाहें, तो LBS की सहायता से पास के किसी अच्छे रेस्त्रां, संग्रहालय, सिनेमा या किसी और चीज़ का पता और वहाँ पहुँचने के रास्ते का मर्गदर्शन पा सकते हैं।

सर्वर घुमंतू बादलों की तरह : लेकिन, क्लाउड कंप्यूटिंग की वकालत करने वालों की नज़र हम साधारण लोगों की जेबों से अधिक उन उद्यमों और उद्यमियों पर है, जो लाखों का कारोबार करते हैं। विषय के जानकार जर्मनी के मानफ्रेड क्लोइबर के शब्दों में उन के लिए इस समय तीन प्रकार की सेवाओं की तस्वीरें उभर रही हैं।

एक तो उन उपयोक्ताओं के लिए है, जो इंटरनेट के माध्यम से केवल कारोबारी पत्र इत्यादि लिखने या हिसाब-किताब रखने जैसे एकल प्रोग्रामों या प्रयोजनों का लाभ उठाने में दिलचस्पी रखते हैं (सॉफ्टवेयर ऐज़ ए सर्विस- SaaS)। दूसरी है डेटाबैंक सहित संपूर्ण अवसंरचना किराये पर उपलब्ध करना (इन्फ्रास्ट्रक्चर ऐज़ ए सर्विस- IaaS)। और तीसरी सेवा है कई सर्वरों सहित एक पूरा सेवा पटल पेश करना (प्लेटफ़ॉर्म ऐज़ ए सर्विस- PaaS)। सर्वर घुमंतू बादलों की तरह सिद्धांततः संसार में कहीं भी हो सकते हैं।

चिंता सूचना सुरक्षा की : यही चीज़, यानी क्लाउड कंप्यूटिंग के सर्वर संसार के किसी भी कोने में हो सकते हैं, उन लोगों के लिए सिरदर्द का कारण बन रही है, जो सूचना सुरक्षा (डेटा सेफ्टी) के प्रति संवेदनशील हैं। उन्हें डर है कि सर्वर चीन, रूस या एशिया-अफ्रीका के किसी ऐसे देश में भी हो सकते हैं, जो क्लाउड कंप्यूटिंग की सुविधा प्रदान करने वाली कंपनियों के लिए सस्ते तो होंगे, पर सूचना-सुरक्षा की दृष्टि से भरोसेमंद नहीं।
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यही नहीं कि गुमनाम हैकर उनमें सेंध लगा कर महत्वपूर्ण या गोपनीय जानकारियाँ चुरा सकते हैं या इन सर्वरों को ठप्प कर सकते हैं, चीन जैसे देशों की स्वयं सरकारें भी कंप्यूटर जासूसी को शह देने के लिए बदनाम हैं। आरोप लगते रहे हैं कि चीन की निजी कंपनियाँ ही नहीं, सरकारी विभाग भी इंटरनेट के माध्यम से दूसरे देशों में सैनिक और राजनैतिक ही नहीं, औद्योगिक जासूसी में भी लिप्त हैं। जब क्लाउड कंप्यूटिंग के सर्वर चीन जैसे देशों की अपनी भूमि पर होंगे, तब क्या स्थिति होगी, इसकी कल्पना की जा सकती है।

आईटी कर्मियों की राय : जर्मन आईटी कंपनियों का संघ बिटकॉम क्लाउड कंप्यूटिंग की ज़ोरशोर से ढोल पीट रहा है। लेकिन हनोवर के सेबिट मेले के समय यह भी सुनने में आया कि कंप्यूटर हार्डवेयर बनाने वाली एक जर्मन कंपनी ने जब इस बारे में 12 देशों में आईटी कर्मियों की राय पूछी, तो पाया कि जर्मनी के 86 प्रतिशत आईटी कर्मियों की राय अनुकूल नहीं थी।

जर्मनी के लोगों का मानना है कि डेटा सुरक्षा के नियम और उनका परिपालन जितना प्रभावकारी जर्मनी में है उतना और कहीं नहीं। इसलिए, वे ऐसी कंपनियों की आईटी सेवाएँ लेना पसंद नहीं करेंगे, जिनका सर्वर जर्मनी में नहीं, कहीं और हो।

इस में कोई शक नहीं कि क्लाउड कंप्यूटिंग के कई लाभ हैं और उससे बच सकना शायद उसी तरह संभव नहीं होगा, जिस तरह आज के कंप्यूटर नियंत्रित जीवन से बचना संभव नहीं है। लेकिन, इस अदृश्य बादल के असीमित विस्तार से बेतार इंटरनेट सहित सभी दूरसंचार सेवाओं के चरमरा जाने की आशंका और डेटा- सुरक्षा की चिंता को देखते हुए उसकी अंधी प्रशंसा भी नहीं की जा सकती।

यह भी नहीं भूल जाना चाहिये कि क्लाउड कंप्यूटिंग के बादल छाते ही इंटरनेट और मोबाइल फ़ोन के एकमुशत किराये (फ्लैटरेट) की अर्थी उठ जायेगी। इंटरनेट और मोबाइल फ़ोन सेवाएँ भी और मँहगी हो जायेगी।

(सभी चित्र सेबिट मेले के सौजन्य से)

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