मैटर, डॉर्क मैटर और एंटी मैटर की साइंस में बहुत चर्चा होती है। एक तो होता है मैटर और दूसरा होता है डार्क मैटर और तीसरा होता है एंटी मैटर। जो भी दिखाई दे रहा है वह मैटर है। मैटर अर्थात पदार्थ। हमारा शरीर और हम जो भी देख रहे हैं वह सभी मैटर है। एंटीमैटर आभासीत माना गया है परंतु डार्ट मैटर की सत्ता है।
2. एंटीमैटर की दूर तक कोई सत्ता नहीं है, लेकिन डार्क मैटर सब जगह है। छाया को भी डार्क मैटर माना जाएगा और ब्रह्मांड के ब्लैक होल को भी? दोनों ही की उपस्थिति का असर जबरदस्त होता है। वैज्ञानिक शोध से पता चला है कि हमारे आसपास हमारा एक समानांतर संसार है जो दिखाई नहीं देता हो सकता है कि वह एंटीमैटर हो।
3. वैज्ञानिकों के अनुसार डार्क मैटर और डार्क एनर्जी ही वह एक कड़ी है, जिसने इस समूचे ब्रह्मांड को एक क्रमबद्ध ढंग से बांध रखा है। डार्क मैटर ऐसे पदार्थों से मिल कर बने हैं जो न तो प्रकाश छोड़ते हैं, न सोखते हैं और ना ही परावर्तित करते हैं। इस कारण इसे अभी तक देख पाना संभव नहीं हो पाया है।
4. आकाशगंगाओं की खोज में तारों का पीछा करते हुए वैज्ञानिकों ने डार्क मैटर को खोजा लेकिन वो इसके बारे में कभी सही जानकारी नहीं जुटा सके। रिसर्च से यह पता चला कि सभी आकाशगंगा के ग्रह, तारे और नक्षत्र ग्रेविटेशनल बाइंडिंग एनर्जी के कारण स्थिर है। परंतु कैलकुलेट करने पर पता चला कि गुरुत्वाकर्षण शक्ति इतनी नहीं है कि वह आकाशगंगा को थाम सके। मतलब कुछ और ही अज्ञात चीज है जो इन्हें थाम रही है। अ्न्यथा अब तक गुरुत्वाकर्षण शक्ति कमजोर हो गई होती और सभी ग्रह, नक्षत्र तारे अपने परिक्रमा पथ से भटक गए होते। इसी सोच ने डार्ट मैटर की अवधारणा को बल दिया। डार्क मैटर ही वह मैटर है जो इस ब्रह्मांड को द्रव्यमान दे रहा है।