24 जनवरी को शनि ने धनु से मकर राशि में गोचर किया था। फिर 11 मई को ही वे वक्री हुए और अब 29 सितंबर 2020 को वे पुन: मार्गी होंगे। ऐसे में लाल किताब के अनुसार इसे बचने के उपाय जानिए।
ज्योतिष शास्त्र में शनि के राशि परिवर्तन को एक बड़ी घटना माना गया है। शनि हर 30 साल में अपने राशि चक्र को पूरा करता है। इसके अनुसार शनि हर ढाई साल में एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करता है। 24 शनि ने मकर राशि में प्रवेश किया था जिसके चलते कन्या और वृषभ राशि से हटकर मिथुन और तुला राशि पर ढैय्या प्रारंभ हो गई थी। शनि के इस राशि परिवर्तन से कुंभ राशि वालों पर शनि साढ़े साती का पहला चरण शुरू हो गया था।
फिर 11 मई से 29 सितंबर तक शनि ने मकर राशि में ही रहकर वक्री अवस्था में गोचर किया। शनि अब पूरे 142 दिन बाद यानी 29 सितंबर को सुबह 10 बजकर 45 मिनट पर वक्री से मार्गी हो रहे हैं।
24 जनवरी को मकर राशि पर राहु के साथ शनि की स्थिति से अशुभ फलदायी ‘षडाष्टक योग’ बना था जो अब समाप्त हो रहा है। इसी वर्ष शनि 27 दिसम्बर 2020 को अस्त भी हो जाएंगे, जिससे शनि के प्रभाव कम हो जाएंगे। धनु और मकर राशि में पहले से ही शनि की साढ़े साती का प्रभाव चल रहा था वह भी समाप्त हो जाएगा।
लाल किताब खाना नम्बर 10 को शनि का पक्का घर मानता है। शनि देव कर्म के अधिपति होने से इस घर के अधिकारी है। टेवे में दूसरे, तीसरे, सातवें और बारहवें खाने में शनि श्रेष्ठ होते हैं। शनि का मंदा घर एक, चार, पांच एवं छठा होता है। बुध, शुक्र एवं राहु के साथ शनि मित्रवत व्यवहार करते हैं। इनकी शत्रुता सूर्य, चन्द्र एवं मंगल से रहती है। केतु एवं बृहस्पति के साथ शनि समभाव रखते हैं। मेष राशि में ये नीच होते हैं जबकि तुला राशि में उच्च। शनिदेव शनिवार के अधिकारी होते हैं।
शनि के बुरे प्रभाव से बचने के लिए करें ये उपाय:-
1. कारोबार में लाभ हेतु काला सुरमा भूमि में दबाना चाहिए।
2. रोटी में सरसों तेल लगाकर कुत्ते को खिलाना चाहिए।
3. शनिवार के दिन शनि मंदिर में छाया दान करना चाहिए।