केतु यदि है 1st भाव में तो रखें ये 5 सावधानियां, करें ये 5 कार्य और जानिए भविष्य

अनिरुद्ध जोशी
गुरुवार, 2 जुलाई 2020 (10:35 IST)
कुण्डली में राहु-केतु परस्पर 6 राशि और 180 अंश की दूरी पर दृष्टिगोचर होते हैं जो सामान्यतः आमने-सामने की राशियों में स्थित प्रतीत होते हैं। केतु का पक्का घर छठा है। केतु धनु में उच्च और मिथुन में नीच का होता है। कुछ विद्वान मंगल की राशि में वृश्चिक में इसे उच्च का मानते हैं। दरअसल, केतु मिथुन राशि का स्वामी है। 15ए अंश तक धनु और वृश्चिक राशि में उच्च का होता है। 15ए अंश तक मिथुन राशि में नीच का, सिंह राशि में मूल त्रिकोण का और मीन में स्वक्षेत्री होता है। वृष राशि में ही यह नीच का होता है। लाल किताब के अनुसार शुक्र शनि मिलकर उच्च के केतु और चंद्र शनि मिलकर नीच के केतु होते हैं। लेकिन यहां केतु के पहले घर में होने या मंदा होने पर क्या सावधानी रखें, जानिए।
 
 
कैसा होगा जातक : व्यर्थ के डर के मारे अतिसतर्क रहने वाला कुत्ता। सब कुछ ठीक चल रहा है फिर भी आशंकित। यदि यहां केतु के साथ मंगल बैठा होतो 'शेर और कुत्ते की लड़ाई' समझों, फिर भी शेर अर्थात मंगल से केतु काबू में रहेगा। 
 
यदि केतु पहले घर में शुभ है, तो जातक मेहनती, धनवान और प्रसन्न होगा, लेकिन अपनी संतान की वजह से हमेशा चिंतित और परेशान रहेगा। उसको लगातार स्थानान्तरण या यात्रा डरा रहेगा। जब वर्ष कुंडली में केतु पहले घर में आएगा तो जातक के घर पुत्र या भतीजे का जन्म हो सकता है।
 
यदि पहले घर में केतु अशुभ हो तो जातक सिर दर्द से पीड़ित होगा। उसकी पत्नी स्वास्थ्य समस्याओं और बच्चों से संबंधित चिंताओं से ग्रस्त होगी। यदि दूसरा और सातवां घर खाली हो तो बुध और शुक्र भी बुरे परिणाम देते हैं। यदि सूर्य सातवें या आठवें स्थान में हो तो पोते के जन्म के बाद स्वास्थ्य खराब रहेगा। लेकिन यदि सूर्य शुभ स्थिति में है तो ऐसा जातक हमेशा अपने माता-पिता और गुरुजनों के लिए फायदेमंद होगा और यदि शनि नीच का हो तो यह पिता और गुरु को नष्ट करेगा। 
 
5 सावधानियां :
1. सूर्य सप्तम में हो तो सुबह शाम को दान न दें।
2. पत्नी से अच्छे संबंध रखें।
3. किसी भी प्रकार का व्यसन न करें।
4. सातवां घर खाली हो तो बुध और शुक्र के उपाय करें।
5. अपने बेटे या बेटियों को खाने-पीने की चीजें या इसके लिए पैसा न दें।
 
क्या करें : 
1. बंदरों को गुड़ खिलायें।
2. केसर का तिलक लगाएं।
3. गणेशजी की पूजा करें।
4. यदि शनि और मंगल अशुभ हो रहे हैं तो उनका उपाय करें।
5. मंदिर में काले और सफेद रंग वाला कंबल दान करें।

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