कुण्डली में राहु-केतु परस्पर 6 राशि और 180 अंश की दूरी पर दृष्टिगोचर होते हैं जो सामान्यतः आमने-सामने की राशियों में स्थित प्रतीत होते हैं। केतु का पक्का घर छठा है। केतु धनु में उच्च और मिथुन में नीच का होता है। कुछ विद्वान मंगल की राशि में वृश्चिक में इसे उच्च का मानते हैं। दरअसल, केतु मिथुन राशि का स्वामी है। 15ए अंश तक धनु और वृश्चिक राशि में उच्च का होता है। 15ए अंश तक मिथुन राशि में नीच का, सिंह राशि में मूल त्रिकोण का और मीन में स्वक्षेत्री होता है। वृष राशि में ही यह नीच का होता है। लाल किताब के अनुसार शुक्र शनि मिलकर उच्च के केतु और चंद्र शनि मिलकर नीच के केतु होते हैं। लेकिन यहां केतु के सातवें घर में होने या मंदा होने पर क्या सावधानी रखें, जानिए।
कैसा होगा जातक : ऐसा पालतू कुत्ता जो शेर का मुकाबला करना जानता हो। यदि मंगल से खराब हो रहा है तो गृहस्थी सुख अच्छा नहीं रहेगा। यदि यहां स्थित केतु शुभ है तो जीवन में धन की कमी नहीं होगी। जो भी इससे दुश्मनी रखेगा खुद ही परास्त हो जाएगा।
बुध और शुक्र के घर सातवें भाव में यदि केतु स्थित होकर शुभ हो तो जातक चौबीस साल से लेकर चालीस साल तक खूब धन कमाएगा। यदि जातक को बुध, बृहस्पति अथवा शुक्र का सहयोग मिलता है तो जातक को कभी भी निराश नहीं होना पड़ेगा। जातक के बच्चों के अनुपात में धन की वृद्धि होती रहेगी। जातक के शत्रु जातक से डरेंगे।
लेकिन यदि केतु किसी कारण अशुभ हो रहा है तो जातक अक्सर बीमार रहता है, बेकार के वादे करता है और तैतीस साल की अवस्था तक शत्रुओं से पीड़ित रहता है। यदि लग्न में एक से अधिक ग्रह हों तो जातक के बच्चे नष्ट हो जाते हैं। यदि जातक गालियां देता हैं तो जातक बर्बाद हो जाएगा। यदि केतु बुध के साथ हो तो 34 सालों के बाद जातक के शत्रु अपने आप नष्ट हो जाते हैं।
5 सावधानियां :
1. वायदों को निभाएं और कोई संकल्प नहीं लें।
2. झूठ न बोलें।
3. अभिमान न करें।
4. पत्नी से संबंध बनाकर रखें।
5. साझेदारी का काम सोच-समझ कर करें।
क्या करें :
1. केसरिया तिलक धारण करें।
2. हमेशा घर, शरीर और कपड़ों को साफ सुथरा बनाए रखें।
3. लक्ष्मी और दुर्गा की उपासना करें।
4. कुत्ते को रोटी खिलाते रहें।
5. गुरुवार का उपवास करें उस दिन नमक ना खाएं और शुक्रवार को घटाई न खाएं।
6. गंभीर संकट या कष्ट के समय बृहस्पति के उपचार करें।