जल तत्व प्रधान वृश्चिक राशि का स्वामी मंगल और प्लूटो है। वृश्चिक राशि के कारक ग्रह चंद्र, मंगल और गुरु माने गए हैं। भाग स्थिर है और वृश्चिक लग्न की बाधक राशि वृषभ तथा बाधक ग्रह शुक्र है। लाल किताब अनुसार आठवें भाव में वृश्चिक राशि मानी गई है जिसके मंगल का पक्का घर भी तीन और आठ माना जाता है। यदि आप वृश्चिक राशि के जातक हैं तो आपके लिए यहाँ लाल किताब अनुसार सामान्य सलाह दी जा रही है।
*रक्त या स्वभाव खराब है तो मंगल खराब की निशानी समझे।
*शरीर पर जगह जगह लाल मस्से या तील जैसे निशान हो गए हैं तो अशुभ।
*वृश्चिक राशि के जातक का मंगल बद है तो मंगल से संबंधित बीमारियों में पेट के रोग, हैजा, पित्त, भगंदर, फोड़ा, नासूर और आमाशय से संबंधित समस्याएं होने लगती हैं।
*मानसिक रोगों में अति क्रोध, विक्षिप्तता, चिढ़चिढ़ापन, तनाव, अनिद्रा आदि मंगल के अशुभ होने की निशानी है।