कुंडली के प्रत्येक भाव या खाने अनुसार सूर्य के शुभ-अशुभ प्रभाव को लाल किताब में विस्तृत रूप से समझाकर उसके उपाय बताए गए हैं। यहां प्रस्तुत है प्रत्येक भाव में सूर्य की स्थिति और सावधानी के बारे में संक्षिप्त और सामान्य जानकारी।
सूर्य ग्रहों का राजा है। किसी भी खाने में सूर्य की स्थिति अच्छी है तो अच्छा ही होगा। राजा के कमजोर होने से अन्य ग्रहों का दबदबा बढ़ जाता है इसलिए राजा को बलशाली बनाएं और सुखी जीवन पाएं।
विशेषता : बंदर, पहाड़ी गाय, कपिला गाय।
(1). पहला खाना : जंगल का एकमात्र राजा सिंह। हुकूमत करने वाला। धर्म पर विश्वास रखता हो या नहीं इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।
सावधानी : इंसाफ पसंद नहीं हैं तो बर्बादी। जरूरी है कि हुक्म चलाते हुए जरूरत से ज्यादा नरमी न बरतें।
(2). दूसरा खाना : खुद शिकार करके खाने वाला सिंह। इसे बिना किसी सहारे के जलने वाला मंदिर का दीपक भी कहा गया है। आर्थिक हालत सामान्य। धर्म और ससुराल विरोधी हो सकते हैं।
सावधानी : तरक्की और सुख-शांति की शर्त यह है कि भाई की हर वक्त सहायता करें।
(3). तीसरा खाना : निडर सिंह जिससे मौत भी घबराए। दिल से सच्चा और भलाई करने वाला, लेकिन इस निडरता के चलते ही भाई-बंधुओं के लिए मुसीबत खड़ी करने वाला होता है।
सावधानी : भाइयों के प्रति नरम रुख रखें। सच्चाई पर कायम रहें। झूठ और फरेब से बचें।
(4). चौथा खाना : शाही खानदान अर्थात राजयोग के योग होंगे।
सावधानी : गैर स्त्री से ताल्लुक रखे तो पुत्र का जीवन दुखमय बीते। पुत्र नहीं है तो कभी पुत्र पैदा नहीं होगा। माता दुःखी रहेगी।
(5). पांचवां खाना : संसार में रुचि लेने वाला मर्यादित राजा। जन्म से ही भाग्यवान। पुत्र पर खर्च करने से पुत्र मालामाल होता जाएगा।
सावधानी : पुत्र से खराब संबंध रखने से बर्बादी के रास्ते खुलने लगेंगे।
(6). छठा खाना : जलती हुई जमीन। जिद से खुद के घर को भी जलता हुआ देखकर हँसने वाला जिद्दी। कारोबार में बर्बादी। नाहक लाँछन झेलने वाला।
सावधानी : पिता के प्रति बौर-भाव न रखें। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। चरित्र को उत्तम बनाए रखें।
(7). सातवां खाना : जन्म पर सभी समझते हैं कि खानदान का सूरज निकला, लेकिन जैसे-जैसे सूरज चढ़ता है वह दुम वाला सितारा बनता जाता है। उसने सब सोच-समझकर नेक नीयत से किया, लेकिन नतीजा उल्टा निकला।
वक्त पर राजा का हुक्म उसके हक में नहीं होता भले ही उसने राजा की जान बचाई हो। बेशक राजगद्दी पर जन्म ले लेकिन गद्दी नसीब नहीं होती। यदि कोई ऐसे व्यक्ति को जलाए तो खुद जलकर नहीं मरेंगे दूसरों को भी जलाकर खाक कर देंगे। अर्थात हम तो डूबे सनम तुमको भी ले डूबेंगे। आमतौर पर ऐसे व्यक्ति का कम कबीला ही होता है।
सावधानी : सुबह और शाम को किसी भी प्रकार का दान न दें।
(8). आठवां खाना : श्मशान घाट की जलती अग्नि। खोद-खोद चूहा मरे और बैठ जाए भुजंग या आदमी की रोटी कुत्ता खा गया, लेकिन गुरु की गद्दी पर बैठने की ताकत रखने वाला। भंडारी रहे तो भंडारे में कभी कमी नहीं होगी।
सावधानी : रिश्तेदारों से दुश्मनी रखें तो राख जैसा जीवन बन जाए। भिक्षुक बने तो बची हुई रोटी भी हाथ से जाती रहेगी। दूसरे से सहायता की अपेक्षा नहीं करनी चाहिए।
(9). नौवां खाना : भाग्य तब तक सोया रहेगा जब तक धार्मिक गुणों का विकास नहीं होगा लेकिन फिर भी ऐसा व्यक्ति अपने हौसले के दम पर सब कुछ हासिल करने की ताकत रखेगा।
सावधानी : धर्म और ईश्वर निंदा न करें।
(10). दसवां खाना : पैसा तो खरा है लेकिन बाजार में उसकी कीमत नहीं। लोग उसके सच पर विश्वास नहीं करेंगे इसीलिए दूसरों को माफ न करने वाला। वक्त पर मां-बाप को भी फाँसी का हुक्म लिखने वाला।
सावधानी : झुकना सीखें। माता-पिता का सम्मान करें अन्यथा यही दुर्गुण मुसीबत में डालने वाला सिद्ध होगा।
(11). ग्यारहवां खाना : यहां स्थित सूर्य को धनवान और राज्य का सेवक माना गया है। गायन और वादन में रुचि रखने वाला पुरुष, परोपकारी व यशस्वी होता है। खुद के ही सुख का ध्यान रखने वाला।
सावधानी : इंसाफ करते समय अहंकार करें तो जिंदगी नर्क बन जाएगी। अहंकारपूर्ण बातों से रुतबा घटेगा और नेकपसंद होने से बढ़ेगा। यदि मांस खाएं तो औलाद की बर्बादी तय है।
(12). बारहवां खाना : खामख्वाह ही दूसरों की मुसीबत अपने सिर लेने वाला अर्थात पराई आग में जलने वाला व्यक्ति। शय्या सुख की ग्यारंटी नहीं।
सावधानी : यदि धर्म का विरोध करता है तो सोने के समय मुसीबत की खबरें सुनेगा। यदि धर्म और रूहानी शक्ति पर विश्वास करे तो सुख की नींद सोएगा। तरक्की की शर्त यह है कि साधु की सेवा की जाए। पत्नी का ध्यान रखें।