कुण्डली में राहु-केतु परस्पर 6 राशि और 180 अंश की दूरी पर दृष्टिगोचर होते हैं जो सामान्यतः आमने-सामने की राशियों में स्थित प्रतीत होते हैं। कुण्डली में राहु यदि कन्या राशि में है तो राहु अपनी स्वराशि का माना जाता है। यदि राहु कर्क राशि में है तब वह अपनी मूलत्रिकोण राशि में माना जाता है। कुण्डली में राहु यदि वृष राशि मे स्थित है तब यह राहु की उच्च स्थिति होगी। मतान्तर से राहु को मिथुन राशि में भी उच्च का माना जाता है। कुण्डली में राहु वृश्चिक राशि में स्थित है तब वह अपनी नीच राशि में कहलाएगा। मतान्तर से राहु को धनु राशि में नीच का माना जाता है। लेकिन यहां राहु के चौथे घर में होने या मंदा होने पर क्या सावधानी रखें, जानिए।
कैसा होगा जातक : धर्मात्मा होगा और अच्छे कामों में खूब खर्च करेगा। फिर भी दौलत की चिंता लगी रहेगी। यह घर चंद्रमा का है जो कि राहु का शत्रु ग्रह है इसलिए सावधानी रखने की जरूरत है। नीच का या अशुभ राहु है और चंद्रमा कमजोर है तो जातक गरीब होकर माता की बीमारी से परेशान रहेगा। लेकिन यदि चंद्रमा उच्च का है तो जातक अमीर होगा। शादी के बाद जातक के ससुराल वाले भी अमीर हो जाते हैं और जातक को उनसे भी लाभ मिलता है। यदि यहां राहु शुभ है तो जातक बुद्धिमान, अमीर और अच्छी चीजों पर पैसे खर्च करने वाला होगा। बुध से संबंधित कार्यों से लाभ मिलता है।
5 सावधानियां :
1. माता और पिता का अपमान करने के कार्यों से बचें।
2. अपने कर्म स्थान पर या कार्यों में लापरवाही न बरतें।
3. शराब, मांस, व्याभिचार आदि बुरे कार्यों से दूर रहें।
4. शौचालय, सीढ़ियां और स्नानघर को गंदा रखने से बर्बादी।
5. कोयले का एकत्रीकरण, शौचालय फेरबदल, जमीन में तंदूर बनाना, घर में पखाना बनवाना, जमीन के अंदर पानी की टंकी बनवाना, बोरियां इकट्ठी करना और छ्त में फेरबदल करना हानिकारक होगा।