कुण्डली में राहु-केतु परस्पर 6 राशि और 180 अंश की दूरी पर दृष्टिगोचर होते हैं जो सामान्यतः आमने-सामने की राशियों में स्थित प्रतीत होते हैं। कुण्डली में राहु यदि कन्या राशि में है तो राहु अपनी स्वराशि का माना जाता है। यदि राहु कर्क राशि में है तब वह अपनी मूलत्रिकोण राशि में माना जाता है। कुण्डली में राहु यदि वृष राशि मे स्थित है तब यह राहु की उच्च स्थिति होगी। मतान्तर से राहु को मिथुन राशि में भी उच्च का माना जाता है। कुण्डली में राहु वृश्चिक राशि में स्थित है तब वह अपनी नीच राशि में कहलाएगा। मतान्तर से राहु को धनु राशि में नीच का माना जाता है। लेकिन यहां राहु के आठवें घर में होने या मंदा होने पर क्या सावधानी रखें, जानिए।
कैसा होगा जातक : आठवें घर का संबध शनि और मंगल ग्रह से होता है। यदि मंगल ग्रह शुभ हो तथा पहले या आठवें घर में हो अथवा शुभ शनि आठवें घर में हो तो जातक बहुत अमीर होगा। लेकिन राहु अशुभ है तो कड़वा धुवां अर्थात व्यक्ति की बुद्धि पर ताला लगा मानों। वफादार है तो अच्छे परिवार से संबंधों का लाभ मिलेगा। जातक अदालती मामलों में बेकार में पैसे खर्च करता है। परिवारिक जीवन भी प्रतिकूलता से प्रभावित होता है।