वृषभ और तुला राशि के स्वामी शुक्र ग्रह मीन में उच्च और कन्या में नीच का होता है। लाल किताब में सप्तम भाव शुक्र का पक्का घर है। सूर्य और चंद्र के साथ या इनकी राशियों में शुक्र बुरा फल देता है। लेकिन यहां पंचवें घर में होने या मंदा होने पर क्या सावधानी रखें और क्या करें जानिए।
कैसा होगा जातक : यदि इस खाने में शुक्र है तो 'बच्चों से भरा खाना' मानो। ऐसे व्यक्ति की पत्नी जब तक जिंदा रहेगी तब तक उसके कामकाज में कोई रुकावट नहीं आयेगी। पांचवां भाव सूर्य का पक्का घर होता है जहां शुक्र सूर्य की गर्मी से जल जाएगा। परिणाम यह होगा कि जातक इश्कबाज और कामुक होगा। ऐसा होने पर दुर्भाग्य घटित होता और कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। यदि चरित्र उत्तम है तो शादी के पांच साल के बाद उसे पदोन्नति मिलेगी। आमतौर पर ऐसा जातक अनुभवी और शत्रुओं को परास्त करने वाला होगा।
शुक्र की सावधानियां :
1. अपने चरित्र को उत्तम बनाकर रखें।
2. मांस, मदिरा और झूठ बोलने से बचें।
3. शरीर की गंदगी से बच कर रहें।
4. माता-पिता की मर्जी के खिलाफ जाकर विवाह न करें। अन्यथा इसका औलाद पर बुरा असर होगा।
5. पराई स्त्री से प्रेम-प्रसंग होना अर्थात अपने आसपास कांटों के जाल बुनना सिद्ध होगा।