प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह ने सही नीतियों तथा केन्द्र और राज्य सरकारों के ईमानदार प्रयासों से आर्थिक वृद्धि 10 प्रतिशत तक पहुँचने का भरोसा जताया।
उन्होंने अमेरिका और दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में मंदी के रुख से देश के निर्यात और पूँजी प्रवाह के लिए खतरे का इशारा किया और सब्सिडी के विवेकपूर्ण इस्तेमाल पर जोर देने के साथ ही सार्वजनिक संसाधनों की फिजूलखर्ची रोकने की सलाह दी।
डॉ. सिंह ने राष्ट्रीय विकास परिषद की 54वीं बैठक को संबोधित करते हुए 10वीं पंचवर्षीय योजना के अंतिम दो वर्ष में कृषि पैदावार में बढ़ोतरी पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि चालू वर्ष के अनुमानों के आधार पर इन तीन वर्षों में कृषि वृद्धि दर चार प्रतिशत हो जाने की संभावना है।
11वीं पंचवर्षीय योजना को मंजूरी देने के लिए हो रही बैठक में वित्तमंत्री पी. चिदंबरम, योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेकसिंह अहलूवालिया और राज्यों के मुख्यमंत्री मौजूद थे।
डॉ. सिंह ने 10वीं योजना के अंतिम तीन वर्ष में नौ प्रतिशत वार्षिक की औसत वृद्धि दर को अभूतपूर्व बताया तथा कहा कि सही नीतियाँ अपनाई जाएँ और केन्द्र एवं राज्य सरकारें ईमानदारी से प्रयास करें तो हम न केवल निकट भविष्य में इस उच्च वृद्धि के रुख को बनाए रखेंगे, बल्कि इसे 10 प्रतिशत तक पहुँचाने में भी समर्थ हो सकेंगे।
प्रधानमंत्री ने योजनाकारों को आगाह करते हुए कहा कि अमेरिकी और अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की वृद्धि सुस्त पड़ जाने तथा कुछ के मंदी की गिरफ्त में आने से हमारे निर्यात और पूँजी प्रवाह पर असर पड़ सकता है।
उन्होंने कहा कि इससे निराश होने या वृद्धि लक्ष्यों को लेकर कम महत्वाकांक्षी होने की जरूरत नहीं है। आशय केवल यह है कि हमें वृद्धि के घरेलू कारकों को गतिमान रखने के लिए अपने प्रयास दोगुने करने होंगे तथा सुनिश्चित करना होगा कि आर्थिक वृद्धि में और तेजी आए।